चातुर्मास, यानी वो पवित्र चार महीने जब देवताओं की निद्रा काल शुरू होता है और तप-पूजन से जुड़ी परंपराएं सबसे ज़्यादा महत्व रखती हैं। साल 2025 में चातुर्मास (Chaturmas 2025) की शुरुआत 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी से हो रही है, और समापन 6 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर होगा। इस समय को अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है।
इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है, और अगर हम प्रतिदिन कुछ खास जगहों पर दीप जलाते हैं, तो जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो सकती हैं, रूके हुए काम पूरे हो सकते हैं और घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। आइए विस्तार से जानते हैं चातुर्मास में दीपक जलाने की महत्ता और उसकी सही जगहें।
चातुर्मास के दौरान दीप जलाना सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन की सकारात्मक ऊर्जा को जागृत करने का माध्यम है। दीपक को रोशनी और आस्था का प्रतीक माना गया है। जब कोई व्यक्ति रोजाना नियमपूर्वक दीप जलाता है, तो न सिर्फ उसके जीवन में उजाला आता है, बल्कि मानसिक शांति और कार्यों में सफलता भी मिलती है।
1. तुलसी के पौधे के पास दीप जलाएं
तुलसी माता को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है, और चातुर्मास के दौरान तुलसी की पूजा करना अत्यंत शुभफलदायी होता है। अगर आप रोज शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाते हैं, तो घर में आर्थिक संकट समाप्त होते हैं और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
तुलसी के पास दीपक जलाते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। ध्यान रखें कि दीपक में तिल का तेल या गाय के घी का उपयोग करना शुभ माना गया है।
2. घर के मुख्य दरवाजे पर जलाएं दीपक
घर का मुख्य द्वार ही वह स्थान होता है जहाँ से सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। अगर आप चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाते हैं, तो नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पातीं।
यह दीपक रात के समय सूर्यास्त के बाद जलाना चाहिए। इससे न केवल घर में सुख-शांति आती है, बल्कि व्यापार और नौकरी से जुड़ी बाधाएं भी समाप्त होती हैं। खासकर शनिवार की रात को दीपक में सरसों का तेल भरकर उसमें एक लौंग डाल दें—यह उपाय विशेष लाभदायक होता है।
3. रसोईघर और पूजा स्थान पर दीपक जलाएं
रसोईघर को माता अन्नपूर्णा का स्थान माना गया है। चातुर्मास में यहां दीपक जलाने से भोजन में शुभता बनी रहती है और घर में कभी अन्न की कमी नहीं आती। साथ ही पूजा स्थल पर दीपक जलाने से ईश्वर की कृपा लगातार बनी रहती है और मानसिक शांति का अनुभव होता है।
रसोईघर में दीपक जलाते समय यह ध्यान रखें कि दीपक पूर्व दिशा की ओर मुख करके रखा गया हो। पूजा स्थल पर दीपक जलाते समय “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का जाप करें।
चातुर्मास में दीप जलाने के फायदे
1. कार्यों में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं
चातुर्मास के दौरान नियमपूर्वक दीप जलाने से रोजमर्रा की परेशानियां कम होने लगती हैं। यह एक प्रकार की ऊर्जा को सक्रिय करता है जो व्यक्ति को सकारात्मकता की ओर ले जाती है। जीवन में जो काम लंबे समय से अटके हुए हैं, वे भी अचानक बनने लगते हैं।
2. घर में लक्ष्मी जी का वास होता है
जहां दीपक जलता है वहां अंधकार नहीं टिकता। चातुर्मास में घी या तिल के तेल से दीप जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। खासकर शुक्रवार को दीप जलाना अत्यंत फलदायी होता है।
3. बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव
दीपक की लौ जहां जलती है, वहां की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। यह एक प्राचीन मान्यता है जो आज भी अनुभव में आती है। चातुर्मास में खासकर घर के हर कोने को प्रकाशित करना बहुत शुभ माना गया है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- दीपक हमेशा साफ स्थान पर रखें और जलाने से पहले साफ करें।
- कभी भी बुझा हुआ दीपक न जलाएं हमेशा नया तेल डालकर ही जलाएं।
- दीप जलाते समय मन में श्रद्धा और विश्वास होना ज़रूरी है, तभी इसका पूर्ण फल मिलता है।
- चातुर्मास में मांस, शराब, लहसुन, प्याज आदि से दूर रहना चाहिए सात्विक जीवन शैली अपनाएं।





