गांव की बेटी बनी अफसर! छाया कुमारी ने रचा इतिहास, पहले BPSC फिर UPSC क्लियर कर दिखाया कमाल

छोटे से गांव से निकलकर देश की सबसे बड़ी सिविल सेवा परीक्षा पास करना आसान नहीं होता, लेकिन छाया कुमारी ने ये कर दिखाया। पहले BPSC और अब UPSC पास कर उन्होंने अपने पापा से कहा, "पापा, मैं अफसर बन गई।"

UPSC ने सिविल सेवा परीक्षा 2024 का फ़ाइनल रिज़ल्ट घोषित कर दिया है। हर साल की तरह इस बार भी कई होनहार छात्रों ने सफलता हासिल की है। इनमें से एक नाम है झारखंड के गढ़वा ज़िले की छाया कुमारी, जिन्होंने अपने संघर्ष और मेहनत के दम पर यह मुक़ाम हासिल किया है।

छाया कुमारी को UPSC 2024 में 530 वीं रैंक लगी है। इस सफलता के बाद उनके परिवार में ख़ुशी का माहौल छा गया। पूरे गाँव में भी जश्न का माहौल दिखाई दिया। आपको बता दें, ये पहली बार नहीं हुआ है जब छाया कुमारी ने अपने गाँव और परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि UPSC से पहले उन्होंने BPSC में भी सफलता प्राप्त की है।

छाया कुमारी कैसे बनी अफसर

बिहार की छाया कुमारी का सपना था अफसर बनना। पढ़ाई में शुरू से ही तेज रहीं छाया ने पहले BPSC की परीक्षा पास की और फिर UPSC के लिए दिन-रात मेहनत की। जब UPSC का रिजल्ट आया और उनका नाम चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट में था, तो सबसे पहले उन्होंने अपने पापा को कॉल कर कहा, “पापा, मैं अफसर बन गई।”

BPSC से UPSC तक का सफर कैसे तय किया

छाया कुमारी ने पहले BPSC परीक्षा पास की और राज्य सेवा में अधिकारी बन गईं। लेकिन उनका सपना सिर्फ यहीं तक नहीं था। उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की। बिना किसी महंगी कोचिंग के, सिर्फ खुद पर भरोसा और मेहनत के दम पर उन्होंने पढ़ाई की। रोजाना 8 से 10 घंटे पढ़ाई, टेस्ट सीरीज़, पुराने पेपर्स का एनालिसिस और समय का सही मैनेजमेंट सबसे जरुरी था। UPSC जैसे मुश्किल एग्जाम को पास करने के लिए छाया ने खुद को पूरी तरह से झोंक दिया था। उनका सफर बताता है कि अगर लगन सच्ची हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।

UPSC की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए प्रेरणा

छाया की सफलता ने ये साबित कर दिया कि गांव, शहर, संसाधन ये सब मायने नहीं रखते हैं, असली चीज होती है मेहनत और इरादा। UPSC की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए छाया की कहानी एक रियल मोटिवेशन है। उन्होंने दिखा दिया कि कोई भी बैकग्राउंड क्यों न हो, अगर आप खुद पर भरोसा करें और डिसिप्लिन से पढ़ाई करें, तो UPSC भी क्लियर हो सकता है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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