Children’s Day 2021 : इस बाल दिवस बच्चों को दें बड़ों वाला ज्ञान, इस तरह आसानी से समझाएं गुड टच-बैड टच में अंतर

डेस्क रिपोर्ट। बदलते वक्त के साथ बच्चों के लिए भी आजकल का माहौल बदला बदला सा है अब नासमझ, नादान और नन्हीं सी उम्र की बातें बेमानी सी लगती हैं जिस उम्र में ककहरा सीखना होता है पेंसिल पर पकड़ बनाने का हुनर सीखना होता है उसी उम्र में उन्हें शब्द नहीं टच की सीख देना जरूरी हो गया है तकरीबन हर रोज कुछ ऐसी खबर पढ़ने को मिल ही जाती है जो इस डर का अहसास कराती है कि स्कूल, पार्क, कोचिंग बच्चे- शायद कहीं भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं नन्हीं सी उम्र का मन इतना साफ होता है कि दूसरे मन का मैल भी नजर नहीं आता. हालात तो ये हैं कि न सिर्फ लड़कियां, लड़के भी यौन शोषण का शिकार हो सकते हैं इसलिए ये जरूरी है कि बच्चों को अभी से ये समझाएं कि अच्छे और बुरे टच में अंतर क्या है! हर टच स्नेह भरा नहीं होता मन के मंसूबे कभी कभी टच की भाषा में बच्चों को सही गलत का भेद समझा ही जाते हैं

गुड टच
बच्चों को समझाए कि जिसके छूने से उन्हें हर्ट न हो. बल्कि जिसका टच उन्हें सुरक्षित फील करवाए उसे ही गुड टच कहते हैंइस टच को समझाने के लिए खुद बच्चों को ये फील करवाएं कि कौन सा टच उन्हें सुरक्षा का अहसास दिलवाता हैबच्चों को उनके दोस्तों के जरिए समझाएं कि जैसा उन्हें अपने दोस्तों के टच से फील होता है उसे ही गुड टच कहते हैं.
उन्हें ये जरूर समझाएं कि किसी के भी छून से उन्हें थोड़ा सा भी दर्द हो तो बिना डरें वे अपने माता पिता को बताएं
इसके लिए ये भी जरूरी है कि माता पिता अपने बच्चों से इतना खुलकर बात करें कि खेल खेल में या बिना डरे उन्हें सब कुछ बता सकें


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।