क्या रंगों से भी लग सकता है डर: क्या होता है क्रोमेटोफोबिया, किस रंग के फोबिया को क्या कहा जाता है, Chromatophobia के लक्षण और उपचार

ये बात हम जानते हैं कि रंगों का हमारी भावनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे नीला रंग शांति और ठंडक का एहसास कराता है, जबकि लाल रंग उत्तेजना और ऊर्जा का संकेत होता है। वहीं इनका सामाजिक महत्व भी है। विभिन्न संस्कृतियों में रंगों के अर्थ अलग-अलग होते हैं। रंग सिर्फ आंखों से नहीं बल्कि हमारे मस्तिष्क द्वारा भी महसूस किए जाते हैं जो अलग-अलग रंगों की तरंगों को समझता हैं और उन्हें पहचानता है।

Chromatophobia Fear of Colours : रंग हमारे जीवन को खूबसूरत बनाते हैं। लाल, हरा, नीला, पीला, गुलाबी, केसरी…जिसने रंग उतनी खुशियां। फूलों से लेकर हमारे घर की दीवारें, कपड़े, फर्नीचर यहां तक कि सपने भी रंगबिरंगे होते हैं। भला किसे रंग पसंद नहीं होंगे ?  जब ये सवाल आता है तो हमारे मन में भी कौंधता है कि रंगों से किसे क्या समस्या हो सकती है। लेकिन कहते हैं न..जो हम सोच भी नहीं सकते इस दुनिया में वो सब संभव है।

जो हमारी जिंदगी को रंगीन और खुशहाल बनाते हैं वो किसी के लिए खौफ का सबब भी हो सकते हैं। ये कोई मजाक नहीं बल्कि एक फोबिया है जिसे क्रोमेटोफोबिया (Chromatophobia) या रंगों का डर कहा जाता है। आइए..इस रंग-बिरंगे डर की कहानी को जानते हैं।

रंगों का डर: क्या है क्रोमेटोफोबिया

क्रोमेटोफोबिया (Chromatophobia/Chromophobia) यानी रंगों से डर। ये ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें लोगों को किसी खास रंग या कई रंगों को देखकर घबराहट होती हैं। ये डर इतना तीव्र हो सकता है कि लोग रंगीन कपड़े, दीवारें, यहां तक कि रंगीन खाना देखकर भी पसीने-पसीने हो जाएं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ये फोबिया किसी पुराने ट्रॉमा, सांस्कृतिक मान्यताओं या मस्तिष्क की रंगों को समझने की प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण हो सकता है। हमारे लिए जो रंग प्रफुल्लता का विषय हो सकते हैं..वहीं किसी के लिए डर का सबब। आइए, कुछ रंगों और उनके डर की कहानियों पर नजर डालते हैं।

लाल रंग से डर, एरिथ्रोफोबिया (Erythrophobia) : लाल रंग को अक्सर खून, गुस्सा या खतरे से जोड़ा जाता है। इस फोबिया से पीड़ित लोग लाल कार, लाल कपड़े, या लाल सूरज को देखकर ही घबरा उठते हैं। कई बार उन्हें महसूस होता है जैसे कोई खतरा उनके सामने आ गया हो।

काले रंग से डर, मेलानोफोबिया (Melanophobia) : काला रंग अंधेरे, मृत्यु, या रहस्य से जुड़ा होने के कारण कुछ लोगों के लिए डरावना बन जाता है।

सफेद रंग से डर, ल्यूकोफोबिया (Leukophobia) : भारत में सफेद रंग को शोक से जोड़कर देखा जाता है, जिसके कारण कुछ लोग सफेद दीवारें या कपड़े देखकर असहज हो जाते हैं। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी इस रंग के साथ भय से जुड़े अनेक कारण है।

नीले रंग से डर, सियानोफोबिया (Cyanophobia) : नीला रंग उदासी या ठंडक से जुड़ा हो सकता है। कुछ लोग नीले पानी, नीले कपड़े, या नीली रोशनी देखकर घबराते हैं।

पीले रंग से डर, जैंथोफोबिया (Xanthophobia) :  पीला रंग बीमारी (जैसे पीलिया) या चेतावनी से जोड़ा जाता है। कुछ लोग पीले फूल, कपड़े या दीवारें देखकर डर जाते हैं।

हरे रंग से डर, क्लोरोफोबिया (Chlorophobia) : आमतौर पर हरियाली लोगों को पसंद होती है। लेकिन इस समस्या का सामना करने वाले लोग हरे जंगल, कपड़े या पौधों से डरते हैं।  इसे कई लोग हरे जंगल, सांप या जहरीली चीजों से जोड़कर देखते हैं।

क्या रंगों से डर का इलाज संभव है

अच्छी खबर ये है कि क्रोमेटोफोबिया का इलाज संभव है। मनोवैज्ञानिक कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) के माध्यम से इस डर के कारण को समझकर उसे खत्म करने की कोशिश करते हैं। साथ ही एक्सपोजर थेरेपी, योग और ध्यान के साथ ही कुछ स्थितियों में दवाइयां देकर भी उपचार किया जाता है। इसीलिए अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को रंगों से डर लगता है तो घबराएं नहीं और इसे छिपाएं भी नहीं। किसी विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक या थेरेपिस्ट से संपर्क करें और अपनी जिंदगी को फिर से रंगीन बनाएं।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतें से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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