दिवाली से पहले करनी है चिपचिपे एग्जॉस्ट फैन की सफाई, बिना पानी इस ट्रिक से करें क्लीनिंग

Gaurav Sharma
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जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। दिवाली यानि पूरे घर घर के साथ साथ किचन की सफाई का भी मौका। हालांकि किचन की सफाई यूं भी आसान नहीं होती उस पर जब किचन में रखे जार की सफाई की बारी आती है तो चिकनाई जान ले लेती है। इतने पर भी काम खत्म नहीं होता, किचन में लगा एग्जॉस्ट फैन महिलाओं के लिए और भी बड़ी परीक्षा साबित होता है जिस पर तेल की परत इस कदर जिद के साथ चिपकी होती है कि न गर्म पानी से छूटती है न गीले कपड़े से साफ होती है। इस तेल को पंखे से अलग करना बेहद ही मुश्किल होता है।

हालांकि कुछ तरीके ऐसे हैं जो काफी हद तक एग्जॉस्ट फैन को साफ करने में मददगार हो सकते हैं।

तेल और बेकिंग सोडा
एक बाउल में तेल और बेकिंग सोडा का मिश्रण तैयार करें,
एक साफ कपड़े से पहले पंखें को पोछें, दूसरे कपड़े की मदद से उस पर ये मिश्रण लगाएं, बस ये ध्यान रहे कि बेकिंग सोडा वाला तेल किसी भी हाल में मशीन में नहीं जाना चाहिए।
इस तेल को कुछ देर लगा रहने दें, उसके बाद साफ कपड़े से पंखें की पंखूड़ियां साफ कर दें, पंखे से चिपचिपाहट दूर हो जाएगी।

तेल और नमक
बेकिंग सोडा की जगह तेल में नमक मिलाकर मिश्रण तैयार करें, ये मिश्रण पंखे पर लगाने से पहले उसे निकालें और गर्म पानी से साफ करें। एक कपड़े से पंखे को पोंछने के बाद उस पर तेल और नमक का मिश्रण लगा दें। कुछ देर बाद किसी स्क्रबर से घिस कर पंखे को साफ करें। चिकनाई काफी हद तक गायब हो जाएगी।

तेल और डिटर्जेंट
एक बाउल में तेल और डिटर्जेंट बराबर मात्रा में मिला लें,पंखे के ब्लेड्स को पहले गर्म पानी से साफ करें, इसके बाद तेल और डिटर्जेंट का मिश्रण लगा कर रख दें। करीब दस मिनट बाद गुनगुने पानी में कपड़ा भिगो कर उससे साफ करें। तेल की चिपचिपाहट कम लगने लगेगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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