भारत सहित दुनिया में विभिन्न प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें कुछ बहुत ही ज्यादा जहरीले होते हैं, तो कुछ का जहर बहुत कम होता है। इसका नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। इसके काटते ही इंसान का शरीर नीला पड़ जाता है और वह मर जाते हैं। इसका जहर इतना तेजी से फैलता है कि कुछ भी करके इंसान को बचाना पॉसिबल नहीं होता। जहरीले सांप की प्रजातियां में एक कोबरा भी है। जिसका जहर इतना होता है कि इंसान की मौत निश्चित है, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जब कोबरा काटता है, तब भी इंसान की जान नहीं जाती।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल सांप काटने से जितने लोगों की मौत होती है। उनमें 5 से 10% मौत कोबरा के काटने के कारण होती है। इसका मतलब है कि हर साल लगभग 6000 मौतें कोबरा के काटने से होती है।

इस वजह से नहीं होती मौत
भारत में सबसे ज्यादा मौत कोबरा सांप के काटने से होती है। इसके जहर में मुख्य तौर पर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जिसका इलाज एंटीवेनम हो सकता है। कोबरा सांप इतना अधिक जहरीला है कि यह चमड़ी के अंदर तक जहर छोड़ने की ताकत रखता है। कुछ रिपोर्टर्स के मुताबिक, कोबरा काटने के बाद भी उसके जहरीले सांप का असर लगभग 20 से 30% लोगों में नहीं देखने को मिलता है। केवल इतना ही नहीं, वह इस सांप के जहर से मरते भी नहीं हैं। कोबरा के काटने से भले शरीर पर निशान बन जाता है, लेकिन मौत नहीं होती। इसकी वजह ड्राई बाइट होती है। जब कोबरा अपना जहर बाहर नहीं निकालता। इसका मतलब है कि कोबरा के काटने के बाद भी जहर शरीर में नहीं पहुंचता।
7 दिन में बनता है जहर
एक स्टडी के माध्यम से यह पता चला है कि सबसे ज्यादा जहर कोबरा का विष एक थैली में होता है, जो किसी इंसान को काटने के बाद करीब 7 दिन में दोबारा बनता है। ऐसे में यदि इसी बीच किसी को काटा जाए, तो इंसान के शरीर में जहर नहीं फैलता है। इसी कारण कई बार जहरीले कोबरा के काटने के बाद भी इंसान बच जाता है और यह उस व्यक्ति के लिए भगवान द्वारा दिया हुआ जीवन दान माना जाता है। हालांकि, इंसान को सूजन और उल्टी हो सकती है, लेकिन ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। एक रिपोर्ट की मानें तो कोबरा अपने विष को नियंत्रित भी करता है, ताकि जल्दी जहर की थैली खत्म ना हो।