भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बारिश और पकौड़ों का गहरा नाता है। जैसे ही बारिश (rain) होती है हमारा मन पकौड़े (chai pakoda) या ऐसा ही कुछ चटपटा खाने का करने लगता है। भजिए, मुंगोड़े, पकौड़े, समोसे, कचौरी और ऐसी ही चीजें इस मौसम में बहुत भाती है। बरसात में चाय पकौड़े का कॉम्बिनेशन जोरदार है। जैसे ही बारिश शुरु होती है, घर घर में कड़ाही गैस पर चढ़ जाती है और कुछ न कुछ व्यंजन बनने लगते है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर बारिश में हमारा चटपटा खाने का मन क्यों करता है।
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कहा गया है ‘जैसा खाए अन्न वैसा होए मन’ अर्थात भोजन का सीधा संबंध हमारे मन से है। इसीलिए अगर मनपसंद भोजन मिल जाए तो हम खुश हो जाते हैं। जहां तक बारिश और पकौड़े का कनेक्शन है..इसके पीछे एक बड़ी वजह है इस मौसम में धूप का न मिलना। बादल और बारिश के कारण शरीर को विटामिन डी नहीं मिलता है। इस कारण शरीर में सेरोटोनिन (Serotonin) नाम का हार्मोन लेवल घट जाता है। ऐसे में हमारे अंदर कार्बोहाइड्रेट्स को लेकर क्रेविंग (Craving) बढ़ जाती है और ऐसी चीजें खाने का मन करने लगता है जिससे सेरोटोनिन का स्तर बढ़ सके। सूरज की रोशनी और धूप नहीं मिलने से पीनियल ग्रंथियां मेलाटोनिन छोड़ती है जिस कारण हमें आलस्य महसूस होता है। ऐसे में हमारी बॉडी क्लॉक भी डिस्टर्ब होती है। ये होने पर दिमाग हमें निर्देश देता है और तब कुछ ऐसा खाने का मन करता है जिससे मूड लिफ्ट हो जाए। मूड बेहतर करने के लिए कुछ गर्मागर्म और चटपटा खाना हमेशा अच्छा लगता है।
मशहूर फूड क्रिटिक पुष्पेश पंत का कहना है कि ये नैचुरल क्रेविंग है। बारिश के मौसम में बादल छाए रहने और धूप न मिलने के कारण मन पर उदासी और आलस छाया रहता है। तब हमें तला हुआ और चटपटा खाने की तलब लगती है। ऐसे खाद्य पदार्थ उबाऊपन दूर करते हैं और आलस भी भगाते हैं। इसी के साथ खाद्य विशेषज्ञ मानते हैं कि हार्मोनल चेंज के दौरान भी अलग अलग खाने की क्रेविंग बढ़ जाती है। यही वजह है कि प्रेग्नेंसी में या मेनोपॉज़ के दौरान महिलाओं को चटपटा खाने की इच्छा होती है।