रिश्ते में प्यार के साथ-साथ समझदारी भी बहुत जरूरी होती है। लेकिन जब आपका पार्टनर आपकी हर बात और हर फैसले पर कंट्रोल करने लगता है, तो ये आपके लिए एक बड़ी चेतावनी बन सकती है। ऐसा कंट्रोलिंग नेचर रिश्ते (Relationship) को नुकसान पहुंचा सकता है और आपकी खुद की खुशी को भी दबा देता है।
कंट्रोलिंग नेचर का मतलब सिर्फ चिल्लाना या डाँटना नहीं होता, बल्कि आपकी आज़ादी को सीमित करना, आपके दोस्तों या परिवार से दूरी बनाना और आपकी राय को नजरअंदाज करना भी इसके संकेत होते हैं। इन्हें पहचानकर समय रहते कदम उठाना बहुत जरूरी है।
पार्टनर के कंट्रोलिंग नेचर के प्रमुख संकेत
अगर आपका पार्टनर बार-बार आपकी जानकारियों को चेक करता है, आपकी दोस्तों से बात पर रोक लगाता है या आपके फैसलों में दखल देता है, तो ये कंट्रोलिंग व्यवहार के स्पष्ट उदाहरण हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऐसे पार्टनर अक्सर अपने डर या असुरक्षा को दूसरों पर हावी होने से निकालते हैं। इस वजह से आपके साथ उनकी बातचीत में तनाव बढ़ता है और रिश्ते में दूरी आ जाती है।
कंट्रोलिंग नेचर से रिश्तों पर असर और समाधान
कंट्रोलिंग पार्टनर का असर आपकी मानसिक सेहत पर भी पड़ता है। कई बार लोग इसे प्यार समझ लेते हैं लेकिन यह असल में आपकी स्वतंत्रता को कम करता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खुलकर बात करना और सीमाएं तय करना जरूरी है। अगर बात बिगड़ती है तो काउंसलिंग या थैरेपी मददगार साबित हो सकती है। रिश्ते में सम्मान और विश्वास ही खुशहाली का असली राज़ है।





