मर्दानगी साबित करने के लिए सहना पड़ता है चींटियों का दर्द, जानिए दुनिया के कुछ अजीबोग़रीब रीति-रिवाज और परंपराएँ

रीति-रिवाज और परंपराएँ किसी समाज, संस्कृति या समुदाय की अनमोल धरोहर होती हैं। ये पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही मान्यताओं, आस्थाओं और व्यवहारों का समूह हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे जन्म, विवाह, मृत्यु, त्योहारों और अन्य सामाजिक स्थितियों में निभाई जाती है। हालांकि कई बार कुछ कुप्रथाएं भी परंपरा के नाम पर जारी रहती है, जिनपर बदलते समय और समाज के साथ पुनर्विचार की ज़रूरत होती है।

 Unusual customs around the world : रीति-रिवाज और परंपराएँ किसी भी समाज या संस्कृति की पहचान होती हैं। ये वे नियम, परंपराएँ और सामाजिक आदर्श होते हैं जिन्हें कोई भी समाज पीढ़ी दर पीढ़ी अपनाता है। इनका उद्देश्य सामूहिक जीवन को सुव्यवस्थित करना और सामाजिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक मान्यताओं का पालन करना होता है। रीति-रिवाज धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और क्षेत्रीय हो सकते हैं, और ये एक समाज को उसके अतीत से जोड़ने में मदद करते हैं। 

दुनिया में विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के अद्वितीय और अजीबोग़रीब रीति-रिवाज सदियों से लोगों को आकर्षित करते आए हैं। ये परंपराएँ विभिन्न समाजों के जीवन का हिस्सा हैं और इनका सांस्कृतिक महत्व भी बहुत गहरा होता है। यहां हम दुनिया के कुछ अजीबोग़रीब रीति-रिवाज और परंपराओं का उल्लेख कर रहे हैं, जिनका पालन आज भी कुछ हिस्सों में किया जाता है।

1. फ़िलीपींस का अनोखा मृत्यु संस्कार: कब्र पर सोना

फ़िलीपींस के तिंगुआन जनजाति में मृत्यु संस्कार की एक अनोखी परंपरा है, जहां मृत शरीर को नए कपड़ों में सजाया जाता है और कुर्सी पर बैठाकर उसके साथ मानो वह जीवित हो, ऐसा व्यवहार किया जाता है। इसी के साथ एक और परंपरा है ‘सगाडा कब्रिस्तान’ में मृतक के परिजनों द्वारा उनकी कब्र पर रात बिताना। इसे सम्मान और मृतकों की आत्माओं के प्रति श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।

2. इंडोनेशिया कामैनENE’ – मृतकों को दोबारा जीवंत करना

इंडोनेशिया के तोराजा समुदाय में मृतकों को सालों बाद कब्र से बाहर निकालने और नए कपड़े पहनाने की परंपरा है, जिसे ‘मैनENE’ कहा जाता है। इसे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने और उनके साथ जुड़ाव बनाए रखने का तरीका माना जाता है। यह परंपरा तोराजा समाज में गहरे सांस्कृतिक महत्व की धारणाओं से जुड़ी है।

3. ब्राज़ील का चींटी काटने वाला अनुष्ठान

ब्राजील के सतर मावे जनजाति में लड़कों को मर्दानगी साबित करने के लिए एक विशेष परंपरा से गुजरना होता है। उन्हें चींटियों से भरे दस्ताने पहनने पड़ते हैं, जो बेहद दर्दनाक होते हैं। ये चींटियाँ बेहद ज़हरीली होती हैं और काटने पर असहनीय पीड़ा देती हैं। इस अनुष्ठान को वहां के लोग साहस और शक्ति की परीक्षा मानते हैं।

4. दक्षिण कोरिया कासांप के मांस का भोजन

दक्षिण कोरिया के कुछ हिस्सों में सांप के मांस को भोजन में शामिल करने की परंपरा है, जिसे शक्ति और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। हालांकि यह परंपरा आजकल धीरे-धीरे समाप्त हो रही है, लेकिन कुछ स्थानों पर अब भी इसका पालन किया जाता है।

6. दक्षिण अमेरिका कालड़की के युवा होने का उत्सव

दक्षिण अमेरिका के अमेज़न जंगलों में यनमामी जनजाति की एक परंपरा में लड़कियों के प्रथम मासिक धर्म पर उन्हें एक कोठरी में बंद कर दिया जाता है। यह परंपरा यह संकेत करती है कि अब वह युवावस्था में प्रवेश कर चुकी है। इसके बाद एक बड़े उत्सव का आयोजन होता है।

7. अफ्रीका काओकूजिवुआ’ – आत्मा की शांति के लिए बलिदान

नामीबिया के हेरो जनजाति में, मृतकों की आत्मा की शांति के लिए परिवार के किसी प्रिय जानवर की बलि दी जाती है। इसे ‘ओकू-जिवुआ’ कहा जाता है, और यह मृतक की आत्मा को शांति देने का प्रतीक माना जाता है।

ये कुछ उदाहरण दिखाते हैं कि दुनिया में विभिन्न संस्कृतियों के बीच किस प्रकार की विचित्र और अद्वितीय परंपराएँ मौजूद हैं। ये रीति-रिवाज स्थानीय मान्यताओं, परंपराओं और धार्मिक विचारों के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं और समाज की जड़ों को दर्शाते हैं। अलग-अलग समाजों और संस्कृतियों में इन परंपराओं का पालन करना उनके विश्वासों और धारणाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भले ही ये परंपराएँ दूसरों को अजीब लगें, लेकिन उनके पीछे की भावनाएँ और ऐतिहासिक महत्व उन्हें उन समाजों में मूल्यवान बनाते हैं। हालाँकि कई बार कई जगह पर कुरीतियों को भी परंपरा के नाम पर अपनाया जाता है, लेकिन जरूरी है कि ऐसी धारणाएं जो समाज और लोगों के लिए हानिकारक हो..उनपर पुनर्विचार किया जाए।

(डिस्क्लेमर : ये लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं।)

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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