Cyber Attack : आज के डिजिटल युग में साइबर अटैक एक गंभीर खतरा बन चुका है। साइबर अटैक वो प्रक्रिया है जिसमें हैकर्स अनधिकृत रूप से किसी कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क या डिजिटल उपकरण में प्रवेश कर लेते हैं और उसका डेटा चुराते हैं। इस दौरान, सिस्टम को नुकसान भी पहुंचाया जा सकता है या संचालन को बाधित किया जा सकता है। ये किसी एक व्यक्क्ति, समूह, संगठनों और यहां तक कि देश के लिए भी खतरा हो सकता है।
आज का समय तकनीक और इंटरनेट का है। हमारी सूचनाएं, संचार व्यवस्था, बैंकिंग, ऊर्जा तंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र तक अब डिजिटल नेटवर्क से जुड़े हैं। ऐसे में साइबर अटैक एक गंभीर और बढ़ता हुआ खतरा बन चुका है। साइबर हमला एक प्रकार का डिजिटल अपराध है और हमें इसके प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है।

साइबर अटैक क्या है
आज के डिजिटल युग में जहां इंटरनेट और तकनीक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है, वहीं साइबर अटैक एक बड़ा खतरा बनकर उभरा है। यह ऐसा डिजिटल हमला है जिसमें किसी व्यक्ति, संगठन या देश के कंप्यूटर नेटवर्क, डाटा या इंफ्रास्ट्रक्चर को हैकिंग, वायरस, मैलवेयर, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से नुकसान पहुंचाया जाता है।
साइबर अटैक में मैलवेयर, फिशिंग, रैनसमवेयर, डीडीओएस (डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस) और डेटा ब्रीच जैसे तरीके शामिल हैं। इसका उद्देश्य संवेदनशील जानकारी जैसे बैंक विवरण, राष्ट्रीय सुरक्षा डेटा या इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराना हो सकता है। कुछ मामलों में, यह सिस्टम को पूरी तरह से ठप करने के लिए भी किया जाता है।
युद्ध के दौरान साइबर अटैक
युद्ध के दौरान एक देश दूसरे देश पर साइबर अटैक कर सकता है। इसे साइबर युद्ध (Cyber Warfare) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, किसी देश की बिजली ग्रिड, संचार नेटवर्क, सैन्य सिस्टम या वित्तीय संस्थानों को निशाना बनाया जा सकता है। हाल के वर्षों में हम देख चुके हैं कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान साइबर अटैक के कई मामले सामने आए जहां सरकारी और निजी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर अटैक पारंपरिक युद्ध की तुलना में कम खर्चीला लेकिन उतना ही विनाशकारी हो सकता है।
इससे निपटने के उपाय
- मजबूत साइबर सुरक्षा नीतियां: सरकारों को राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा ढांचा विकसित करना चाहिए। भारत में, साइबर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति और CERT-In (Indian Computer Emergency Response Team) जैसे संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- नियमित सॉफ्टवेयर अपडेट: सभी उपकरणों और सॉफ्टवेयर को नवीनतम सुरक्षा पैच के साथ अपडेट रखें।
- कर्मचारी प्रशिक्षण: संगठनों को अपने कर्मचारियों को फिशिंग और अन्य साइबर खतरों के बारे में प्रशिक्षित करना चाहिए।
- मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA): महत्वपूर्ण खातों के लिए MFA का उपयोग अनिवार्य करें।
- डेटा बैकअप: नियमित रूप से डेटा का बैकअप लें ताकि रैनसमवेयर हमले की स्थिति में नुकसान कम हो।
व्यक्तिगत स्तर पर भी रखें सावधानियां
- मजबूत पासवर्ड: अद्वितीय और जटिल पासवर्ड का उपयोग करें।
- संदिग्ध लिंक से बचें: अनजान ईमेल या मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें।
- एंटीवायरस सॉफ्टवेयर: विश्वसनीय एंटीवायरस सॉफ्टवेयर स्थापित करें।
- पब्लिक वाई-फाई का सावधानी से उपयोग: सार्वजनिक नेटवर्क पर वीपीएन का उपयोग करें।
- जागरूकता: साइबर अपराधों के नवीनतम तरीकों के बारे में जानकारी रखें।
- एक्सपर्ट या पुलिस से संपर्क करें: किसी भी तरह का अंदेशा होने पर सायबर पुलिस से संपर्क करें।