दादी माँ की नसीहत : ‘जूते-चप्पल उल्टे नहीं रखने चाहिए’ क्यों हमारे बुजुर्ग इस तरह की बातें कहते थे, जानिए ऐसी 10 बातों के पीछे छिपा अर्थ

हमारी यादों में कई ऐसी बातें और सीख शामिल हैं, जो हमारे बड़े-बुजुर्ग कहा करते थे। बचपन में भले ही हमें इनमें कोई तर्क समझ न आता हो, लेकिन समय के साथ जब इन बातों की गहराई में झांकते हैं, तो उनके पीछे छिपे अर्थ और व्यावहारिक ज्ञान हमें चकित कर देते हैं। ये केवल पुरानी कहावतें या मान्यताएं भर नहीं हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में संतुलन और सुख-शांति लाने के लिए बुजुर्गों का अनुभव और मार्गदर्शन हैं।

Shruty Kushwaha
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Dadi Maa Ki Nasihat : दिन में कहानी नहीं सुनते..मामा रास्ता भूल जाता है या फिर झाड़ू को पैर मारने से दरिद्रता आती है। आपने भी बचपन में कभी न कभी अपनी मां, दादी या नानी से ऐसी बातें सुनी होंगी। तो क्या वाक़ई ऐसा होता है। दिन में कहानी सुनने और मामा के रास्ता भटकने का आखिर क्या संबंध है ? दरअसल ये सब हमारे बुजुर्गों का हमें अच्छी आदतें सिखाने का तरीका है।

बच्चों को कहानी सुनना पसंद होता है लेकिन दिन में कहानी सुनने से अगर सीधे मना किया जाए तो शायद बच्चे इस बात को न समझें। इसीलिए इस बात को मामा से जोड़ दिया गया। ये बात बच्चों को दिन में समय बर्बाद करने से रोकने के लिए कही जाती थी। वहीं, झाडू को लक्ष्मी का प्रतीक इसलिए माना जाता है क्योंकि ये हमारे घर को स्वच्छ रखती है। इसीलिए उसे पैर लगाने से मना किया जाता है। ऐसी कई बातें, कहावतें, लोकोक्तियां और नसीहतें हैं जो हमारी पुरानी पीढ़ी हमें देती आई हैं। अगर हम इनका मर्म समझ लें तो जीवन में सदाचरण और अनुशासन सीखने में कोई कसर नहीं छूटेगी।

दादी माँ की इन बातों का क्या है अर्थ

हमारी परंपरा और संस्कृति में बुजुर्गों की नसीहतें, कहावतें और जीवन के नियम गहराई से जुड़े हुए हैं। इन बातों में ऐसी सीख छिपी होती हैं जो हमें सद्गुण, सदाचार के साथ जीवन में संतुलन बनाए रखने का मार्ग दिखाती हैं। इसीलिए हम सबकी स्मृतियों में हमारे घर के बड़ों द्वारा कही गई कई बातें रहती हैं..जिनका सही अर्थ काफी समय बाद समझ आता है। आज हम ऐसी ही कुछ बातें और उनका अर्थ जानेंगे जो कभी हमने अपनी मां, दादी या नानी से सुनी होंगीं।

1. शाम ढले बाल या नाखून नहीं काटने चाहिए : प्राचीन काल में रोशनी के साधन सीमित थे, जिससे चोट लगने का खतरा होता था। इसीलिए रात के समय किसी तेज धार वाली वस्तु के इस्तेमाल के लिए मना किया जाता था। कई जगहों पर अन्य कारणों से इसे अशुभ भी माना जाता था।

2. रात को झाड़ू नहीं लगाना चाहिए : माना जाता है कि इससे धन और समृद्धि घर से बाहर चली जाती है। व्यावहारिक रूप से, रात में कम रोशनी के कारण कीमती चीज़ें गलती से फेंकी जा सकती थीं, इसीलिए रात में झाड़ू लगाने से रोका जाता था।

3. जूते-चप्पल उल्टे नहीं रखने चाहिए : इसे अपशगुन माना जाता था। साथ ही, यह घर की सफाई और अनुशासन बनाए रखने का प्रतीक है। घर के बार उल्टे सीधे जूते या चप्पल दिखने में भी और सफाई की दृष्टि से भी गलत होते हैं। इसीलिए आज भी हमारे बड़े इस बात पर टोकते नज़र आ जाते हैं।

4. सोते समय सिर उत्तर दिशा में नहीं रखना चाहिए :  वैज्ञानिक दृष्टि से यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से जुड़ा होता है, जिससे ब्लड प्रेशर पर असर पड़ सकता है। धार्मिक दृष्टिकोण से हिंदू धर्म में इसे मृत्यु के देवता यम से जुड़ा माना जाता है।

5. खाली झूला नहीं झुलाना चाहिए : इसे अशुभ माना जाता था। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने का संकेत माना जाता था।

6. दूध उबालते समय उसमें कुछ डालना नहीं चाहिए : दूध को पवित्र माना जाता है। यह समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है इसीलिए इसमें किसी और वस्तु के मिश्रन के लिए मना किया जाता था।

7. घर में तुलसी का पौधा जरूर होना चाहिए : तुलसी में बहुत औषधीय गुण होते हैं। हिंदू परंपरा में इसे पवित्र माना जाता है। इसका इस्तेमाल कई तरह के खाद्य पदार्थों और औषधियों में होता है। इसीलिए इसे घर में लगाने को कहा जाता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर ये उपलब्ध रहे।

8. खाना बनाते समय गाना नहीं गाना चाहिए : कई बार पुराने लोग रसोई में गुनगुनाने पर टोक देते थे। इसके पीछे का कारण असावधानी है। अगर गाने में या किसी तरह के मनोरंजन में मन लग जाए तो भोजन पकाने से ध्यान उचट सकता है। वहीं, ध्यान भटकने पर किसी तरह की दुर्घटना की आशंका भी रहती है।

9. सूर्यास्त के बाद पानी मांगने से बचना चाहिए :  इसे धन हानि से जोड़ा जाता था। यह सामाजिक रूप से रात में सतर्क रहने की सलाह का हिस्सा भी होता है।

10. दरवाजे पर बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए : इसे घर से समृद्धि और सुख-शांति के बाहर जाने का प्रतीक माना जाता था। ये देखने में भी अच्छा नहीं लगता है और इससे आने जाने वालों को बाधा हो सकती है।

ये सारी बातें समय, समाज, परंपरा और संस्कृति पर आधारित रही हैं। इनका मूल उद्देश्य घर-परिवार-समाज में अनुशासन, स्वास्थ्य और सुरक्षा बनाए रखना है। हालांकि समय के साथ ऐसी कई बातों और मान्यताओं में परिवर्तन आ गया है। लेकिन असल में इन बातों से ज्यादा महत्व इनके पीछे छिपे अर्थ का है। समय के साथ ऐसी बातों का स्वरूप ज़रूर बदल जाता है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है इनकी सीख..जो हमारे जीवन को बेहतर बनाने में बहुत मदद कर सकती हैं।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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