बॉस की इंसल्ट से हैं परेशान! ये 7 साइकोलॉजिकल तकनीक आजमाएं, मानसिक शांति और आत्मविश्वास दोनों लौटेंगे

ऑफिस में हर दिन बॉस की खरी-खोटी सुनना क्या आपकी दिनचर्या बन चुकी है..क्या उसके ताने अब आपके आत्मविश्वास को अंदर तक चुभने लगे हैं? अगर जवाब ‘हां’ है तो घबराइए नहीं। ऐसी स्थिति से हर दिन लाखों कर्मचारी दो-चार हो रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ लोग चुपचाप सब सह जाते हैं, जबकि कुछ लोग अपमान के इस चक्र को तोड़ने के रास्ते खोज लेते हैं। आप भी कुछ कारगर टिप्स अपनाकर हर दिन की इस परेशानी का रचनात्मक हल निकाल सकते हैं।

क्या आप दफ़्तर में हर दिन तनाव और अपमान का सामना करते हैं? क्या आपका बॉस बार-बार ऐसे कमेंट्स करता है जो आपके आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाती हैं? क्या आपको लगता है कि आपका बॉस बस मौके खोजका है आपकी इंसल्ट करने के? अगर हाँ..तो आप अकेले नहीं हैं।

कार्यस्थल पर अपमान एक आम समस्या है जो कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्यक्षमता पर गहरा प्रभाव डालती है। लेकिन इस कारण नौकरी तो छोड़ी नहीं जा सकता। फिर क्या करें? आज हम इस गंभीर मुद्दे के समाधान को लेकर कुछ बात करेंगे। ऐसी स्थितियों के लिए कुछ प्रभावी मनोवैज्ञानिक तकनीकें हैं जो आपको इससे निपटने और अपनी मानसिक शांति बनाए रखने में मदद कर सकती हैं। आइए, इन रणनीतियों पर एक नज़र डालते हैं जो न सिर्फ आपको इमोशनली मज़बूत बनाएंगी, बल्कि प्रोफेशनल तरीके से स्थिति को संभालने में भी मदद करेंगी।

1. डी-पर्सनलाइज़ेशन

अपमान को व्यक्तिगत रूप से न लेना सबसे पहला कदम है।  मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अपमान अक्सर सामने वाले व्यक्ति की अपनी असुरक्षा, तनाव या नाकामी का परिणाम होता है न कि आपकी कमी होती है। डी-पर्सनलाइज़ेशन एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है जिसमें आप किसी के अपमानजनक या नकारात्मक व्यवहार को अपने व्यक्तित्व या आत्म-मूल्य से अलग करके देखते हैं। इसका मतलब है कि आप यह समझते हैं कि दूसरों के शब्द या व्यवहार उनकी अपनी भावनाओं, असुरक्षाओं, या परिस्थितियों का परिणाम हैं, न कि आपकी कमियों का प्रतिबिंब।

कैसे करें : जब कोई अपमान करता है, तो उसे व्यक्तिगत हमले के रूप में लेने के बजाय उसे एक बाहरी घटना के रूप में देखें। उदाहरण के लिए, अगर आपका बॉस कहता है, “तुम बेकार हो,” तो इसे अपनी योग्यता का मूल्यांकन न मानें, बल्कि उनके तनाव, गुस्से या अपेक्षाओं का परिणाम समझें। अपने मन में एक मानसिक दीवार बनाएं जो आपको अपमान से अलग रखे। .

2. ग्रे रॉक तकनीक

बॉस के उकसाने वाले व्यवहार पर कोई उत्साहजनक या भावनात्मक प्रतिक्रिया न दें – शांत और औपचारिक रहें। इससे निपटने में ‘ग्रे रॉक तकनीक’ उपयोगी साबित हो सकती है जिसमें आप भावनात्मक रूप से तटस्थ रहते हैं और मिनिमल रिएक्शन देकर अपमान को अनदेखा करते हैं। यह तकनीक अपमान करने वाले को उकसाने से रोकती है और आपको मानसिक शांति देती है। आपको इसमें किसी पत्थर की तरह निरपेक्ष हो जाना है।

कैसे करें : जब बॉस अपमानजनक टिप्पणी करे तो मानसिक रूप से एक कदम पीछे हटें। कल्पना करें कि आप एक “ग्रे रॉक” (साधारण पत्थर) हैं..जिसकी न कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया है न भावनात्मक जुड़ाव। उदाहरण के लिए..अगर बॉस कहता है “तुम बेकार हो” तो शांत स्वर में जवाब दें “मैं समझता हूँ, कृपया सुझाव दें कि इसे कैसे बेहतर किया जा सकता है।”

3. प्रोफेशनल असर्टिवनेस

अपने आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए विनम्र लेकिन दृढ़ तरीके से अपनी सीमाएं स्पष्ट करें। यह दर्शाता है कि आप अपमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे, फिर भी पेशेवर बने रहेंगे। यह तकनीक न सिर्फ आपके आत्मविश्वास को बढ़ाती है, बल्कि बॉस को भी ये महसूस कराती है कि वो आपके साथ अशिष्टता से पेश नहीं आ सकता।

कैसे करें: अगर बॉस कोई अनर्गल टिपप्णी करें, खासकर किसी तरह का निजी कमेंट तो आप कह सकते हैं “मैं आपकी प्रतिक्रिया का सम्मान करता हूँ, लेकिन व्यक्तिगत टिप्पणियां मेरे लिए काम पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल बनाती हैं। क्या हम इसे प्रोफेशनल लेवल पर रख सकते हैं”। यह जवाब न केवल आपकी स्थिति को मज़बूत करता है, बल्कि बातचीत को क्रिएटिव दिशा में भी ले जाता है।

4. इमोशनल एंकरिंग

अपने आत्म-सम्मान को बॉस के व्यवहार से प्रभावित न होने दें। अपनी उपलब्धियों, कौशल और व्यक्तिगत मूल्यों पर ध्यान दें। इमोशनल एंकरिंग का मतलब है कि आप अपने आत्मविश्वास को बाहरी स्रोतों जैसे परिवार, दोस्तों या अपनी पिछली सफलताओं से प्राप्त करते हैं। इससे आपका आत्म-सम्मान बॉस के शब्दों से अछूता रहता है।

कैसे करें : रोज़ सुबह 5 मिनट के लिए “सेल्फ-अफर्मेशन” करें। उदाहरण के लिए मन में दोहराएं और महसूस करें “मैं अपनी भूमिका में सक्षम हूँ” या “मेरी कीमत किसी के शब्दों से कम नहीं होती।” अपनी पिछली सफलताओं की एक सूची बनाएं और इसे नियमित रूप से पढ़ें।

5. तनाव प्रबंधन और मनोवैज्ञानिक लचीलापन

अपमान से होने वाले तनाव को कम करने के लिए ‘माइंडफुलनेस’ और ‘डीप ब्रीदिंग’ की तकनीकों का उपयोग करें। ये तकनीक आपको शांत और केंद्रित रखती हैं। साथ ही नियमित व्यायाम, योग या किसी शौक में समय बिताए ताकि आपका मानसिक स्वास्थ्य मज़बूत रहे।

कैसे करें : रोज़ 10 मिनट माइंडफुलनेस मेडिटेशन करें। जब तनाव बढ़े तो 4-7-8 साँस तकनीक (4 सेकंड साँस लें, 7 सेकंड रोकें, 8 सेकंड छोड़ें) अपनाएँ। इसके अलावा सप्ताह में कम से कम 3 बार 30 मिनट का व्यायाम जैसे टहलना या योग करें।

6. एग्जिट स्ट्रैटेजी

यदि अपमान असहनीय हो और स्थिति में सुधार की कोई संभावना न दिखे तो चुपचाप एक एग्जिट स्ट्रैटेजी पर काम करें। इसमें नई नौकरी की तलाश, स्किल अपग्रेड या बेहतर विकल्प की खोज शामिल हो सकती है। यह आपको मानसिक रूप से सशक्त बनाए रखेगा, क्योंकि आप जानते हैं कि आपके पास विकल्प हैं।

कैसे करें : अपने प्रोफाइल को अपडेट करें, नेटवर्किंग शुरू करें और जॉब पोर्टल्स पर नियमित रूप से अवसर तलाशें। हर हफ्ते कम से कम एक नई स्किल सीखने या नेटवर्किंग इवेंट में शामिल होने का लक्ष्य बनाएं।

7. सपोर्ट सिस्टम का उपयोग

इस विषय पर विश्वसनीय सहकर्मियों से चर्चा करें कि क्या वे भी समान व्यवहार का सामना कर रहे हैं। यह आपको अकेलापन महसूस होने से बचाएगा और सामूहिक समाधान की दिशा में ले जा सकता है। अगर अपमान उत्पीड़न की श्रेणी में आता है तो कंपनी के एचआर विभाग को तथ्यों और उदाहरणों के साथ शिकायत दर्ज करें। भारत में कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कानून मौजूद हैं, जो ऐसी स्थिति में आपकी सुरक्षा कर सकते हैं।

कैसे करें : अपने सहयोगियों, सहकर्मियों, परिवारजनों से बात करें। विषय विशेषज्ञ या लीगल एक्सपर्ट से सलाह लें। सभी आवश्यक बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करते हुए आगे का फैसला लें।


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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