शॉपिंग मॉल एक ऐसी जगह होती है, जहां सभी कुछ इकट्ठे आप खरीद सकते हैं। यह एक व्यवस्थित मार्केट होता है, जो कि एक ही बिल्डिंग में लोगों के लिए बनकर तैयार किया जाता है। आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक से बढ़कर एक शानदार शॉपिंग मॉल बनाए जा चुके हैं, जहां आपको कपड़े से लेकर फुटवियर, बाग, फैशन, खाने-पीने की चीज, इसके अलावा मूवी थिएटर्स आदि तमाम तरह के शॉप्स एक ही जगह पर मिल जाएंगे।
आज हम आपको दिल्ली-NCR के पहले शॉपिंग मॉल के बारे में बताएंगे, जो कभी शहर की रौनक को बढ़ाने का काम किया करती थी, लेकिन अब यह जगह बिल्कुल वीरान सा हो गया है।
अंसल प्लाजा
90 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में दिल्ली का अंसल प्लाजा एक मॉल होने के साथ-साथ यहां के स्थानीय लोगों के लिए एक बहुत बड़ा सपना था। अर्ध-गोलाकार मॉल, उस दौर में आधुनिकता की एक मिसाल थी, जोकि साउथ दिल्ली के बीचो-बीच बसा था। यहां लोग खरीदारी के लिए आते थे। वीकेंड्स और किसी खास मौके पर यहां अलग ही रौनक देखने को मिलती थी।
छिनी रौनक
हालांकि, आज यह मॉल बुरी तरह से वीरान पड़ चुका है। टूटी-फूटी एस्केलेटर और छत से टपकता पानी, गलियारों में पसरा हुआ सन्नाटा, इसकी रौनक को छिन चुका है। जिसकी वजह शहर के विभिन्न इलाकों में खुल चुके कई सारे शॉपिंग मॉल भी हैं। पहले यहां लोग घंटों समय बिताया करते थे। यह एक तरीके से लोगों के स्ट्रेस को दूर करने का बहुत बढ़िया और शानदार जगह थी, लेकिन अब यह बिल्कुल सुना पड़ चुका है।
मॉल संस्कृति की शुरुआत
बता दें कि 1999 में अंसल प्लाजा को बनाया गया था, जिससे दिल्ली में मॉल संस्कृति की शुरुआत हुई। यहां कांच की लिफ्ट लोगों को आकर्षित करते थे। वहीं, पिज़्ज़ा हट, मैकडॉनल्ड्स जैसे ब्रांड पूरे शहर के लिए पसंदीदा ठिकाना बन चुके थे। लोग इसकी बनावट को देखने के लिए भी यहां आया करते थे। आज मॉल की हालत बहुत ही बेकार हो चुकी है। यहां लोग नहीं आते। हफ्ते में एक या दो ग्राहक दिख जाते हैं। वीकेंड्स पर थोड़ी भीड़ हो जाती है। ज्यादातर दुकानें यहां पर बंद पड़ी हैं। रखरखाव में कमी है। सुरक्षा भी यहां पर बहुत अधिक नहीं है।





