आपका स्क्रीन टाइम कितना है! आज के डिजिटल युग में जरूरी हो रहा है Digital Detox, अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखने के लिए करें डिजिटल उपवास

इन दिनों हमारी दुनिया जैसे एक मोबाइल में सिमट गई हो। मोबाइल के साथ अन्य डिजिटल उपकरण अब इतने आवश्यक हो गए हैं कि हमारा ज्यादातार वक्त उन्हीं के साथ सोशल मीडिया पर बीत जाता है।लेकिन इस वर्चुअल दुनिया के चक्कर में हम रियल दुनिया को कहीं भुला न बैठे..कहीं ऐसा न हो कि हमें इनकी लत लग जाए। अपने मानसिक स्वास्थ्य, रिश्तों की बेहतरी और वास्तविक संसार से जुड़े रहने के लिए डिजिटल डिटॉक्स आज की ज़रूरत बनता जा रहा है।

Digital Detox is becoming necessary digital era

Digital Detox for betterment : कई बार ऐसा होता है न कि लगातार भारी खाना हो जाए तो पेट को आराम देने के लिए हम उपवास कर लेते हैं। अलग अलग धर्मों में भी उपवास की अवधारणा है जो धार्मिक महत्व के साथ ही संयम और त्याग की अवधारणा भी प्रस्तुत करती है। तो आज के समय में..जब हम ढेर गैजेट्स और डिजिटल उपकरणों से घिरे हुए हैं, बीच-बीच में हमें डिजिटल उपवास की भी ज़रूरत है। इसे डिजिटल डिटॉक्स भी कहा जाता है।

डिजिटल डिटॉक्स या डिजिटल उपवास एक ऐसा अभ्यास है जिसमें व्यक्ति कुछ समय के लिए डिजिटल उपकरणों जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट और सोशल मीडिया से दूर हो जाता है। इस तरह वो अपने जीवन में संतुलन लाने का प्रयास करता है। आज के समय में यह अवधारणा और महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि धीरे-धीरे लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ता जा रहा है, सोशल मीडिया एंगेजमेंट्स बढ़ रहा है और वो असल दुनिया से दूर होते जा रहे है। डिजिटल माध्यमों पर ज्यादा समय बिताने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

क्या है Digital Detox और डिजिटल उपवास

डिजिटल डिटॉक्स और डिजिटल उपवास दोनों ही डिजिटल उपकरणों से दूरी बनाने से संबंधित है। इन दोनों का उद्देश्य समान है लेकिन इनमें बारीक का अंतर भी है। दरअसल, डिजिटल डिटॉक्स का मतलब है कुछ समय के लिए अपने डिजिटल उपकरणों (जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट आदि) और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दूर रहना। डिजिटल डिटॉक्स का उद्देश्य व्यक्ति को अपने डिजिटल उपकरणों के अत्यधिक उपयोग से होने वाले नकारात्मक प्रभावों से मुक्त करना है। डिजिटल डिटॉक्स में व्यक्ति सीमित समय के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग कम करता है, लेकिन पूरी तरह से उन्हें नहीं छोड़ता। उदाहरण के लिए, दिन के कुछ घंटों के लिए सोशल मीडिया से दूरी बनाना।

वहीं, डिजिटल उपवास का अर्थ है एक निश्चित अवधि के लिए पूरी तरह से डिजिटल उपकरणों और इंटरनेट सेवाओं से दूर रहना। ठीक उसी तरह जैसे सामान्य उपवास में भोजन का त्याग किया जाता है। यह उपवास का एक प्रकार है जिसमें व्यक्ति अपने आप को सभी डिजिटल उपकरणों से अलग करता है। डिजिटल उपवास की अवधि कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक हो सकती है, और इस दौरान व्यक्ति कोई भी डिजिटल उपकरण उपयोग नहीं करता है। डिजिटल उपवास में व्यक्ति पूरी तरह से डिजिटल उपकरणों का उपयोग बंद कर देता है और एक निश्चित समय तक कोई डिजिटल गतिविधि नहीं करता, जैसे कि रमजान में रोज़ा रखना या तीज आदि पर्व पर पूर्ण उपवास करना।

डिजिटल डिटॉक्स/ उपवास और मानसिक स्वास्थ्य

डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग चिंता, अवसाद, नींद की समस्याएं, अकेलेपन सहित कई परेशानियों का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित रूप से डिजिटल ब्रेक लेने से व्यक्ति अपने मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। कई शोधों ने पुष्टि की है कि डिजिटल डिटॉक्स से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार होता है। उदाहरण के लिए, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से डिजिटल उपकरणों से ब्रेक लेते हैं, वे अधिक खुश और मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं। इसी प्रकार, जर्नल ऑफ सोशल एंड क्लिनिकल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, सोशल मीडिया से एक सप्ताह का ब्रेक लेने से लोगों में अवसाद और चिंता के लक्षणों में कमी देखी गई। डिजिटल डिटॉक्स मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए एक सरल और प्रभावी तरीका है। हालांकि यह बात हर व्यक्ति के साथ अलग हो सकती है, लेकिन ये एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त करने की दिशा में।

डिजिटल डिटॉक्स से होने वाले लाभ

  1. तनाव में कमी: डिजिटल माध्यमों पर लगातार सूचना और समाचार की बाढ़ मानसिक तनाव का कारण बन सकती है। डिजिटल डिटॉक्स इन सूचनाओं से कुछ समय के लिए दूरी बनाकर दिमाग को आराम देता है।
  2. ध्यान और ध्यान की क्षमता में सुधार: लगातार डिजिटल डिवाइस का उपयोग हमारे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है। डिजिटल डिटॉक्स से व्यक्ति ध्यान और आत्म-जागरूकता बढ़ा सकता है।
  3. नींद में सुधार: रात में स्मार्टफोन और अन्य उपकरणों का उपयोग नींद की गुणवत्ता को खराब करता है। डिजिटल डिटॉक्स नींद के पैटर्न को सही करता है।
  4. मानसिक शांति: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग आत्म-सम्मान में कमी और निराशा का कारण बन सकता है। जब हम सोशल मीडिया से दूर रहते हैं, तो हम अपने आप में अधिक संतोष और शांति महसूस कर सकते हैं।
  5. संबंधों में सुधार: डिजिटल डिटॉक्स के दौरान, लोग वास्तविक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो उनके सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

(डिस्क्लेमर : ये लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)

 


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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