फूलों की भी भाषा होती है, जानिए दुनियाभर में अलग अलग फूल किन भावनाओं को व्यक्त करते हैं

हम फूलों के ज़रिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। जब शब्द कम पड़ जाते हैं, तब फूल काम आते हैं। ऐसे ही हमारे त्योहारों, शादियों और विभिन्न सामाजिक और धार्मिक समारोहों में भी फूलों का स्थान महत्वपूर्ण है। वे अपने सौंदर्य और सुगंध से माहौल को सुवासित करते हैं। फूल जीवन के हर पल में हमारी भावनाओं का साथ देते हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक, प्रेम से लेकर दुःख तक, हर अवसर पर इनका विशेष महत्व होता है।

Cultural significance of flowers : फूल..प्रकृति के सबसे सुंदर उपहारों में से एक हैं। जब भी हम फूलों को देखते हैं तो उनसा सौंदर्य और खुशबू हमें अपनी ओर खींचती है। हर फूल में एक कहानी छिपी होती है, एक भावना होती है और ये हमारी ज़िंदगी में खुशी और सकारात्मकता का संचार करते हैं। फूल न केवल हमें आनंद देते हैं, बल्कि जीवन की गहरी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम भी बनते हैं।

फूलों की एक अनोखी भाषा होती है। यह भाषा केवल खुशबू और रंगों की नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी भावनाओं और विचारों की भी है। हर फूल कुछ कहता है, कुछ संकेत देता है। उदाहरण के लिए, लाल गुलाब प्रेम और जुनून का प्रतीक है, जबकि सफेद गुलाब शांति और मासूमियत का। पीला गुलाब दोस्ती और खुशी का प्रतीक है। इसी तरह, लिली शुद्धता और पुनर्जन्म का प्रतीक है, जबकि सूरजमुखी उजाले और निष्ठा की कहानी कहता है।

फूलों का महत्व और मान्यताएं 

दुनियाभर की संस्कृतियों में फूलों का विशेष महत्व है। भारत में कमल को पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है और यह भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है। बौद्ध धर्म में कमल आत्मज्ञान का प्रतीक है, जो बताता है कि कैसे कीचड़ में उगने के बावजूद यह फूल शुद्ध और अनछुआ रहता है। ऐसे ही जापान में “हाना” नामक त्यौहार में चेरी के फूलों (सकुरा) की पूजा होती है। सकुरा, जीवन के अस्थायी होने का प्रतीक है, जो हमें यह सिखाता है कि जीवन की खूबसूरती उसकी अस्थिरता में ही है। इसी तरह, चीन में गुलदाउदी (क्राइसेंथेमम) को दीर्घायु और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।

दुनियाभर में फूलों का सांकेतिक अर्थ और महत्व अलग-अलग संस्कृतियों, धर्मों और मान्यताओं पर आधारित होता है। अधिकांश फूल किसी न किसी भावना, विचार या स्थिति का प्रतीक माना जाता है। यह मान्यताएँ प्राचीन काल से ही चली आ रही हैं और आज भी विभिन्न समारोहों, त्यौहारों, और जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में इन्हें महत्व दिया जाता है। आज हम आपको विभिन्न फूलों से जुड़ी भावनाओं और मान्यताओं के बारे में बताने जा रहे हैं।

1. गुलाब (Rose)
गुलाब को प्यार और रोमांस का प्रतीक माना जाता है। खासकर लाल गुलाब सच्चे प्रेम और जुनून को दर्शाता है। वहीं, सफेद गुलाब मासूमियत और शुद्धता का प्रतीक है। पीला गुलाब दोस्ती और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। ऐतिहासिक रूप से, गुलाब को ग्रीक और रोमन सभ्यताओं में देवी एफ़्रोडाइट और वीनस से भी जोड़ा गया है, जो प्रेम और सौंदर्य की देवी थीं।

2. लिली (Lily)
लिली शुद्धता, पुनर्जन्म और मातृत्व का प्रतीक है। यह ईसाई धर्म में वर्जिन मैरी से जुड़ा है और कई संस्कृतियों में इसे पवित्रता और दिव्यता के साथ जोड़ा जाता है। सफेद लिली को अक्सर अंतिम संस्कारों में इस्तेमाल किया जाता है, जो आत्मा की शांति और स्वर्गीय जीवन का संकेत देता है

3. कमल (Lotus)
हिंदू और बौद्ध धर्मों में, कमल को आध्यात्मिकता, शुद्धता और आत्मज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह जीवन के कठिनाइयों के बीच खिलने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी कमल पर विराजमान होते हैं, जो समृद्धि और शांति का संदेश देता है। बौद्ध धर्म में यह ज्ञान और शुद्धि का प्रतीक है।

4. सूरजमुखी (Sunflower)
सूरजमुखी सकारात्मकता, ऊर्जा और निष्ठा का प्रतीक है। यह सूरज की ओर मुड़ने की विशेषता के कारण हमेशा आशावादी दृष्टिकोण और जीवन में उजाले की तलाश का प्रतीक माना जाता है।

5. गुलदाउदी (Chrysanthemum)
यह फूल कई संस्कृतियों में सम्मान और दीर्घायु का प्रतीक है। जापान में इसे शाही परिवार से जोड़कर भी देखा जाता है, जबकि चीन में यह स्वास्थ्य और लंबे जीवन का प्रतीक है। पश्चिमी संस्कृति में सफेद गुलदाउदी को मृत्यु और अंतिम संस्कारों से जोड़ा जाता है

6. नर्गिस (Daffodil)
यह वसंत और पुनर्जन्म का प्रतीक है। नर्गिस को अक्सर एक नई शुरुआत, आशा और खुशी का प्रतीक माना जाता है। वेल्स में इसे राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में भी मान्यता दी गई है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News