Morning habits : आप सुबह उठकर सबसे पहले क्या करते हैं ? आज के समय में अधिकांश लोग सुबह उठकर सबसे पहले अपना मोबाइल फोन चेक करते हैं। अक्सर फोन हमारे बिस्तर के पास ही रखा होता है और सुबह उठते ही हम देखते हैं कि कोई कॉल या मैसेज तो नहीं आया। लेकिन क्या एक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के साथ सुबह की शुरुआत करना सही है।
क्या आप जानते हैं कि सुबह उठते ही जब हम ईमेल, सोशल मीडिया या अन्य मैसेज देखते हैं तो हमारे दिमाग पर अचानक से ढेर सारी जानकारियों का दबाव आ जाता है..जिससे दिन की शुरुआत तनावपूर्ण हो सकती है। अगर हमें कोई नकारात्मक समाचार या अप्रिय संदेश मिलता है तो इससे पूरा दिन प्रभावित हो सकता है। साथ ही ये हमारी क्रिएटिविटी को भी प्रभावित करता है। सुबह का समय दिमाग के लिए सबसे अधिक रचनात्मक होता है, लेकिन फोन देखने से यह क्षमता धीरे-धीरे कम हो सकती है।
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क्या मोबाइल फोन के साथ होती है आपकी सुबह
आज की डिजिटल दुनिया में स्मार्टफोन हमारे जीवन का सबसे जरूरी हिस्सा बन चुका है। सुबह उठते ही मोबाइल फोन चेक करना आजकल बहुत आम बात हो गई है। ये धीरे-धीरे हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। फिर चाहे सोशल मीडिया हो, ईमेल हो, या ताज़ा खबरें..हम नींद से जागते ही स्क्रीन पर अपन आंखें गढ़ा देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह आदत हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर रही है।
सुबह के अल्फा वेव स्टेट को बाधित करता है मोबाइल
जागने के तुरंत बाद हमारा दिमाग अल्फा वेव स्टेट में होता है, जो रचनात्मकता और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है। लेकिन फोन देखते ही ये शांत अवस्था टूट जाती है और हमारा ध्यान बंटने लगता है। फोन देखने से दिमाग तुरंत बीटा वेव स्टेट (सतर्क और व्यस्त मानसिक अवस्था) में चला जाता है, जिससे गहरी सोच और चिंतन बाधित होता है। इसी के साथ, सुबह उठते ही स्क्रीन देखने से आंखों पर तनाव बढ़ता है जिससे सिरदर्द, आंखों में जलन और थकान महसूस हो सकती है। इसके अलावा, बिस्तर पर पड़े-पड़े फोन देखने से गलत बॉडी पोस्चर की समस्या भी हो सकती है।
दिमाग पर अनावश्यक बोझ
इसी के साथ सुबह-सुबह फोन देखने से दिमाग पर अचानक सूचनाओं का भारी बोझ आ जाता है। ईमेल, सोशल मीडिया नोटिफिकेशन या नकारात्मक खबरें पढ़ने से दिन की शुरुआत चिंता और तनाव से हो सकती है। इससे दिमाग पर अनावश्यक दबाव बढ़ता है और मूड खराब हो सकता है। ये बात पूरे दिन को प्रभावित कर सकती है। सोशल मीडिया और फोन नोटिफिकेशन से डोपामिन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो हमें अस्थायी खुशी का अहसास कराता है। लेकिन लंबे समय में ये हमारी एकाग्रता और मानसिक शांति को नुकसान पहुंचा सकता है। सुबह की पहली घंटी हमारी दिनभर की ऊर्जा और प्रोडक्टिविटी को निर्धारित करती है। अगर इस समय को फोन पर व्यर्थ किया जाए तो दिन की योजना और लक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं।
सुबह की सकारात्मक शुरुआत करें
इसलिए अपने सुबह की एक सेहत भरी शुरुआत करें। जागने के बाद गहरी सांस लें और कुछ मिनट ध्यान करें। पानी पिएं और हल्का व्यायाम करें। ये नियम बनाएं कि उठने के बाद पहले एक घंटे तक मोबाइल से दूर रहेंगे और वास्तविक दुनिया से जुड़ेंगे। आप कुछ देर प्रकृति के सान्निध्य में बिता सकते हैं। अपने घर के बगीचे में टहलें या बालकनी में कुछ देर बैठें। इससे आपकी आंखों और मन..दोनों को सुकून मिलेगा। सुबह की ताज़ी हवा, सूरज की किरणें और हरियाली मानसिक शांति देती हैं। आप सुबह के समय को कोई अच्छी किताब भी पढ़ सकते हैं या बागवानी कर सकते हैं। गुड मॉर्निंग म्यूजिक सुनें या कोई सॉफ्ट संगीत के साथ अपनी सुबह को सुरीला बनाएं। इस तरह छोटे-छोटे बदलावों से आप अपनी सुबह को सकारात्मक बना सकते हैं।