अभी तक हम यही मानते आए थे कि धरती की रफ्तार धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन नई रिपोर्ट्स कुछ और ही इशारा कर रही हैं। दरअसल वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार धरती कुछ दिनों तक ज्यादा तेजी से घूमेगी। इसका सीधा असर हमारी घड़ियों और समय की गणना पर पड़ेगा। इस बदलाव के कारण दिन के समय में मामूली कमी दर्ज की जाएगी, लेकिन यह बदलाव वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जानकारी के अनुसार धरती की रफ्तार में बदलाव कोई पहली बार नहीं हो रहा, लेकिन इस बार यह इज़ाफा हैरान करने वाला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक बड़ा कारण है ग्लेशियरों का पिघलना, जिससे धरती के द्रव्यमान में बदलाव आ रहा है। जब बर्फ पिघलती है और पानी अलग-अलग हिस्सों में फैलता है, तो पृथ्वी का भार पुनः संतुलित होता है, जिससे उसकी गति प्रभावित होती है।

कितना छोटा हो जाएगा दिन?
वहीं इसके अलावा, धरती के गर्भ यानी भीतरी हिस्से में हो रही हलचलें और प्लेटों की गति भी रोटेशन स्पीड पर असर डाल सकती हैं। दरअसल जलवायु परिवर्तन से जुड़ी घटनाएं जैसे अल-नीनो और ला-नीना भी इसमें भूमिका निभा सकती हैं। इन सभी कारणों के चलते 5 अगस्त को दिन सामान्य से लगभग 1.5 मिलीसेकंड छोटा होने की उम्मीद है।
क्या होगा इसका असर?
दरअसल धरती की स्पीड में इस बदलाव का असर भविष्य में हमारे टाइम सिस्टम पर भी पड़ सकता है। अब तक वैज्ञानिक यह मानते रहे थे कि धरती की गति धीरे-धीरे कम हो रही है, इसलिए समय के साथ “लीप सेकंड” जोड़े जाते थे, ताकि घड़ियों को पृथ्वी की वास्तविक गति से सिंक्रोनाइज़ रखा जा सके। लेकिन अब तस्वीर पलटती दिख रही है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी वैज्ञानिक जूडा लेविन ने 2021 में इस ट्रेंड को ‘अनएक्सपेक्टेड’ बताया था। उनका कहना था कि हमें हमेशा लीप सेकंड जोड़ने की ज़रूरत पड़ती थी, लेकिन अब शायद 2029 तक पहली बार कोई सेकंड हटाना भी पड़ सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय समय प्रणाली में बदलाव की संभावना बढ़ जाती है।
चांद का भी है इस घटना से संबंध?
वहीं इस पूरी घटना को और रहस्यमयी बनाता है चांद का रोल। दरअसल टाइमएंडडेट.कॉम की रिपोर्ट बताती है कि जिन दिनों धरती सबसे तेज घूमेगी, यानी दिन सबसे छोटे होंगे, उन्हीं दिनों चांद धरती से अपनी औसत दूरी से अधिक दूर होगा। खासकर 2025 में 3 ऐसे दिन होंगे जब चांद भूमध्य रेखा से अपनी सबसे लंबी दूरी पर होगा।
ऐसे में वैज्ञानिक यह मान रहे हैं कि चांद की दूरी में बदलाव भी पृथ्वी के घूमने की रफ्तार को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, इस पर अभी रिसर्च जारी है, लेकिन यह जरूर तय है कि धरती और चांद के बीच का गुरुत्वाकर्षण संबंध सिर्फ ज्वार-भाटे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समय और गति जैसे बड़े मुद्दों पर भी असर डालता है।