इको-फ्रेंडली कूलिंग सॉल्यूशन्स : बिना एसी-कूलर के घर को ठंडा रखने के प्राकृतिक तरीके

हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो याद आता है कि बिना कूलर के भी गर्मियां आराम से निकल जाती थी। पहली बात तो ये कि उस समय ग्लोबल वॉर्मिंग का इतना प्रभाव नहीं था। साथ ही, लोग प्राकृतिक तरीकों को अधिक अपनाते थ जिससे घरों में स्वाभाविक रूप से ठंडक बनी रहती थी। ऊंची छतें, चौड़े आंगन, मिट्टी के घर और बड़े-बड़े पेड़..ये सभी गर्मी को कम करने में अहम भूमिका निभाते थे।

Shruty Kushwaha
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Eco-Friendly Cooling Solutions : गर्मी का मौसम दस्तक दे चुका है और तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में पारंपरिक कूलिंग सिस्टम जैसे एयर कंडीशनर और कूलर का बहुत ज्यादा उपयोग न सिर्फ आपके बिजली का बिल बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। इसीलिए दुनियाभर में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए अब इको-फ्रेंडली कूलिंग सॉल्यूशंस को अपनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।

मौसम बदलने के साथ ही घरों में कूलर निकल गए हैं। एसी की सर्विसिंग कराई जा रही है। लेकिन क्या कभी आपने कुछ और विकल्पों के बारे में सोचा है, जिससे ठंडक भी मिले और पर्यावरण की सेहत भी बनी रहे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह लोग अब प्राकृतिक तरीके से अपने घर को ठंडा रखने के उपायों की ओर मुड़ रहे हैं।

प्राकृतिक वेंटिलेशन अपनाएं

घर में हवा के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने के लिए खिड़कियां और दरवाजे खोलकर क्रॉस वेंटिलेशन का सहारा लिया जा सकता है। यह गर्मी को कम करने में मदद करता है और ऊर्जा की खपत को भी घटाता है। पारंपरिक भारतीय घरों में मिट्टी और बांस का उपयोग किया जाता था जो प्राकृतिक रूप से ठंडे होते हैं। आज भी, इको-फ्रेंडली आर्किटेक्चर में इन सामग्रियों का उपयोग करके तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है।

ग्रीन रूफ और वर्टिकल गार्डन

हरियाली तापमान को नियंत्रित करने में सहायक होती है। छतों पर ग्रीन रूफ और दीवारों पर वर्टिकल गार्डन लगाने से घर में प्राकृतिक ठंडक बनी रहती है और एयर कंडीशनिंग की जरूरत कम होती है।

पैसिव कूलिंग तकनीक

सही वेंटिलेशन और खिड़कियों की उचित दिशा के साथ घर को इस तरह डिज़ाइन किया जाए कि हवा का प्रवाह बना रहे। ठंडी हवा को अंदर लाने और गर्म हवा को बाहर निकालने की व्यवस्था करने से बिना किसी अतिरिक्त ऊर्जा खपत के तापमान कम किया जा सकता है।

प्राकृतिक कूलिंग सामग्री का उपयोग

गर्मी को मात देने के लिए घर में खस खस की चटाई, मिट्टी के घड़े में पानी, और हैंडमेड कूलिंग पर्दों का उपयोग किया जा सकता है। यह पारंपरिक उपाय बिना बिजली खर्च किए ठंडक प्रदान करते हैं। बांस, खस और अन्य प्राकृतिक फाइबर से बने पर्दे गर्मी को अवशोषित कर घर को ठंडा रखते हैं। यह न केवल सौंदर्य बढ़ाते हैं, बल्कि टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं।

सोलर पावर से चलने वाले कूलिंग सिस्टम

सौर ऊर्जा आधारित पंखे और एयर कूलर का उपयोग करके बिजली की खपत को कम किया जा सकता है। यह समाधान न सिर्फ किफायती है, बल्कि कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करता है।

एनर्जी एफिशिएंट उपकरणों का चयन

यदि कूलिंग सिस्टम का उपयोग करना ही पड़े तो ऊर्जा कुशल एसी और कूलर को प्राथमिकता दें। 5-स्टार रेटिंग वाले उपकरण बिजली की खपत कम करते हैं और पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं।

पारंपरिक ठंडे पेय और खानपान

गर्मियों में ठंडक पाने के लिए नींबू पानी, बेल का शरबत, सत्तू, और नारियल पानी जैसे प्राकृतिक पेय का सेवन करना चाहिए। यह न केवल शरीर को हाइड्रेट रखते हैं, बल्कि गर्मी के प्रभाव को भी कम करते हैं।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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