आप अपने बचपन में कौन से साबुन से नहाते थे! एक नज़र 70 के दशक से लेकर अब तक के कुछ ख़ास बाथ-सोप पर

नहाने का साबुन एक सामान्य स्वच्छता उत्पाद है, जिसका उपयोग शरीर की सफाई के लिए किया जाता है। यह एक सर्फेक्टेंट होता है, जो पानी के साथ मिलकर त्वचा से गंदगी, तेल और बैक्टीरिया को हटाने में मदद करता है। अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो भारत में साबुन के ब्रांड्स, विज्ञापन के तरीके इस्तेमाल आदि में बहुत परिवर्तन आया है। कुछ दशक पहले घरों में आमतौर पर सभी के लिए एक सा बाथ सोप आता था, लेकिन आज सबकी पसंद, ज़रूरत और मर्जी के अनुसार इसका इस्तेमाल होता है। समय के साथ साथ नहाने के साबुन में भी काफी बदलाव आया है।

Soap

Evolution of Bath Soaps in India : क्या आपको याद है अपने बचपन में आप किस साबुन से नहाते थे। या फिर अपमी नानी-दादी के घर जाने पर आपको बाथरूम में कौन सा साबुन रखा मिलता था। जिस तरह खाने पीने, जगह, रिश्तों, लोगों आदि को लेकर हमारी यादें होती हैं, वैसे ही वस्तुओं के साथ भी यादों का अूटट संबंध होता है। अगर हम कुछ दशक पीछे जाएं तो याद आता है कि उस समय बाथ सोप या नहाने के साबुनों कैसे होते थे। उनकी ब्रांडिंग का तरीका, घर में सबके लिए एक ही तरह का नहाने का साबुन आना या फिर रंगों के आधार पर साबुनों का चयन..ये सब हमारी स्मृतियों का भी हिस्सा है।

नहाने के साबुन हमारे दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा हैं। इनका मुख्य उद्देश्य शरीर की सफाई करना और त्वचा को साफ व ताजगीपूर्ण बनाए रखना होता है। साबुन एक तरह का सर्फेक्टेंट (surface-active agent) होता है जो त्वचा से धूल, गंदगी, तेल और बैक्टीरिया को हटाने में मदद करता है। साबुन की विशेषताएँ और प्रकार इसके अवयवों और निर्माण प्रक्रिया के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

भारत में 70 के दशक से लेकर अब तक Bath Soap का सफर

भारत में नहाने के साबुन का एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है। समय के साथ, उपभोक्ताओं की पसंद और प्राथमिकताएं बदलती रही हैं, जिससे साबुन बाजार में कई बड़े ब्रांड और उत्पाद उभर कर सामने आए। 70 के दशक से लेकर अब तक, कई प्रमुख ब्रांडों ने इस बाजार पर अपनी पकड़ बनाए रखी है। यहाँ हम उन प्रमुख साबुन ब्रांडों का जिक्र करेंगे जिन्होंने भारतीय स्नान उत्पाद बाजार पर गहरी छाप छोड़ी है।

1970 का दशक:

70 के दशक में, साबुन भारतीय उपभोक्ताओं के बीच बुनियादी जरूरत का हिस्सा था। इस दौर में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने उत्पादों से बाजार पर प्रभाव डाला। उस समय के कुछ प्रमुख साबुन ब्रांडों में शामिल थे:

  1. लाइफबॉय (Lifebuoy): हिंदुस्तान यूनिलीवर द्वारा निर्मित यह साबुन अपने कीटाणुनाशक गुणों के कारण बेहद लोकप्रिय हुआ। इस समय इसे स्वच्छता और स्वास्थ्य से जोड़ा गया, और यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में प्रसिद्ध था।
  2. हमाम (Hamam): यह एक आयुर्वेदिक साबुन था जिसे हिंदुस्तान यूनिलीवर ने पेश किया था। इसका विशेषत: त्वचा को स्वाभाविक रूप से स्वच्छ रखने पर जोर था, और यह अपने हर्बल गुणों के लिए जाना जाता था।
  3. लक्स (Lux): यह यूनिलीवर का एक और प्रमुख ब्रांड था, जो खासकर महिलाओं के लिए सौंदर्य और त्वचा की देखभाल पर केंद्रित था। बॉलीवुड अभिनेत्रियों द्वारा इसका प्रचार होने के कारण इसे “सितारों का साबुन” कहा जाता था।
  4. सर्फ एक्सेल और सनलाइट (Sunlight): नहाने के साबुन के अलावा, इस समय अन्य सफाई उत्पादों का उपयोग भी बढ़ रहा था। हालांकि, कुछ लोगों ने सर्फ एक्सेल और सनलाइट जैसे कपड़े धोने के साबुनों का उपयोग भी शरीर की सफाई के लिए किया।

1980 का दशक:

80 के दशक में साबुन के बाजार में आयुर्वेद और प्राकृतिक उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ने लगी। इस दौर में भारत में कुछ नए ब्रांड भी उभरे:

  1. संतूर (Santoor): वाइएसएससी लिमिटेड द्वारा निर्मित, संतूर एक विशिष्ट चंदन और हल्दी से युक्त साबुन था। यह साबुन तेजी से लोकप्रिय हुआ क्योंकि इसमें त्वचा के प्राकृतिक निखार और सौंदर्य पर जोर दिया गया।
  2. निर्मा (Nirma): निर्मा ने अपनी सस्ती कीमतों के साथ साबुन बाजार में एक क्रांति ला दी। यह विशेषकर ग्रामीण भारत में बेहद लोकप्रिय हो गया।
  3. पियर्स (Pears): यह यूनिलीवर का एक और प्रसिद्ध ब्रांड था जो अपनी पारदर्शी और ग्लिसरीन से युक्त साबुन के लिए प्रसिद्ध था। इसे कोमल त्वचा के लिए सुरक्षित माना गया।

1990 का दशक:

90 के दशक में निजी स्वच्छता और सौंदर्य उत्पादों के बाजार में तेजी आई। इस समय कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ब्रांड भारतीय बाजार में प्रवेश कर चुके थे:

  1. डव (Dove): डव ने एक मॉइस्चराइजर से भरपूर साबुन के रूप में खुद को पेश किया। यह साबुन खासकर सूखी त्वचा के लिए उपयुक्त माना जाता था और इसका मार्केटिंग संदेश त्वचा की देखभाल पर केंद्रित था।
  2. सफोला (Saffola) और डेटॉल (Dettol): डेटॉल ने अपने एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बाज़ार में लोकप्रियता हासिल की। इसका उपयोग सिर्फ नहाने के लिए ही नहीं बल्कि एंटीसेप्टिक गुणों के कारण कई घरेलू कामों में भी किया जाने लगा।

2000 का दशक और आगे:

2000 के दशक के बाद से, भारतीय साबुन बाजार में तेजी से विकास हुआ और कई आयुर्वेदिक और हर्बल ब्रांडों ने बाजार में अपनी जगह बनाई:

  1. पतंजलि: बाबा रामदेव के नेतृत्व में पतंजलि ने आयुर्वेदिक उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत की, जिनमें पतंजलि साबुन भी शामिल है। यह साबुन पूरी तरह से प्राकृतिक अवयवों पर आधारित होता है और इसे बड़ी मात्रा में भारतीय जनता ने अपनाया।
  2. मेडिमिक्स (Medimix): यह साबुन हर्बल और आयुर्वेदिक गुणों के कारण मशहूर हुआ। इसे त्वचा के विभिन्न रोगों और समस्याओं के लिए उपयोगी बताया जाता है।
  3. खादी साबुन (Khadi Soap): खादी के साबुन हर्बल और प्राकृतिक सामग्री से बने होते हैं और इनकी मार्केटिंग पूरी तरह से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर केंद्रित होती है।

भारत में साबुन उद्योग ने 70 के दशक से लेकर अब तक एक लंबा सफर तय किया है। जहां 70 के दशक में कीटाणुनाशक और सफाई पर जोर दिया गया, वहीं 90 के दशक के बाद त्वचा की देखभाल और प्राकृतिक अवयवों का प्रभाव बढ़ गया। आज के उपभोक्ता न केवल सफाई बल्कि अपनी त्वचा को स्वस्थ और सुंदर रखने के लिए भी साबुन का चयन करते हैं। समय के साथ आयुर्वेदिक और प्राकृतिक साबुनों की मांग भी बढ़ी है, जो भारतीय संस्कृति और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से जुड़ी हैं।

 

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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