क्या आपने नोटिस किया? होटल रूम में नहीं मिलती घड़ी, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

अक्सर आपने देखा होगा कि होटल के रूम में सब कुछ होता है, लेकिन दीवार पर घड़ी नहीं होती। क्या ये गलती है या जानबूझकर किया गया फैसला? इसके पीछे की वजह इतनी सोच-समझकर तय की गई है कि जानकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे।

अगर आपने कभी किसी फाइव स्टार या थ्री स्टार होटल में स्टे किया है, तो आपने नोटिस किया होगा कि वहां हर चीज़ होती है AC, टीवी, मिनी फ्रिज, अलार्म सर्विस एक चीज़ मिसिंग होती है, घड़ी।

अब सवाल ये उठता है कि इतने लग्जरी और कॉम्प्लीटली फर्निश्ड होटल रूम में घड़ी क्यों नहीं होती? क्या ये जानबूझकर किया गया है या इसके पीछे कोई और वजह है? आइए जानते हैं इसके पीछे की असली कहानी।

होटल में घड़ियां क्यों नहीं लगाई जातीं?

1. मेहमानों को टाइम की टेंशन से दूर रखना

होटल में रुकने का सबसे बड़ा मकसद होता है आराम करना, रिफ्रेश होना। होटल मालिकों का मानना है कि अगर कमरे में घड़ी होगी, तो लोग बार-बार टाइम चेक करेंगे और छुट्टियों का मजा नहीं ले पाएंगे। इसलिए टाइम-फ्री माहौल देने के लिए कमरे में जानबूझकर घड़ी नहीं लगाई जाती।

2. इंटरनेशनल गेस्ट्स और टाइम जोन की दिक्कत

बहुत से बड़े होटल्स में अलग-अलग देशों के लोग आते हैं। हर देश का टाइम जोन अलग होता है। ऐसे में अगर कमरे में घड़ी होती है और वो लोकल टाइम दिखाती है, तो गेस्ट कन्फ्यूज हो सकते हैं। इससे उनके प्लान्स पर असर पड़ सकता है। इसलिए होटल मैनेजमेंट रिस्क नहीं लेना चाहता।

3. मेंटेनेंस और डिजाइन फैक्टर

घड़ी एक ऐसा आइटम है जिसे सही टाइम पर सेट करना, बैटरी चेंज करना और साफ रखना जरूरी होता है। बड़े होटल्स में रोज सैकड़ों कमरे होते हैं, ऐसे में हर घड़ी की मेंटेनेंस करना एक अतिरिक्त जिम्मेदारी बन जाती है। साथ ही, घड़ी का डिज़ाइन अगर रूम की थीम से मैच न करे तो वो कमरे की सुंदरता भी बिगाड़ सकती है।

क्या होटल में टाइम देखने का कोई ऑप्शन नहीं होता?

ऐसा बिल्कुल नहीं है। होटल गेस्ट्स के लिए रिसेप्शन पर, लॉबी में या टीवी स्क्रीन पर टाइम दिखाया जाता है। साथ ही, अलार्म कॉल की सुविधा भी दी जाती है, जिससे गेस्ट को समय पर उठाया जा सके। इसके अलावा, आजकल हर किसी के पास स्मार्टफोन होता है, जिससे टाइम देखना बहुत आसान हो गया है। इसलिए भी होटल्स को अलग से घड़ी लगाने की जरूरत महसूस नहीं होती।

अक्सर आपने देखा होगा कि होटल के रूम में सब कुछ होता है, लेकिन दीवार पर घड़ी नहीं होती। क्या ये गलती है या जानबूझकर किया गया फैसला? इसके पीछे की वजह इतनी सोच-समझकर तय की गई है कि जानकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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