सावन का महीना सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा पवित्र माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सोमवार के दिन खास व्रत रखा जाता है, जिससे साधकों के जीवन में चल रही सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। इस महीने की शुरुआत होते ही हरियाली, बारिश के फव्वारे अपना जलवा दिखाने लगते हैं। वहीं, सभी मंदिर सज-धज कर दुल्हन की तरह तैयार रहते हैं। इसके अलावा, पूरा शहर भक्ति के उत्सव में डूबा नजर आता है।
इस महीने में कुछ ऐसी मिठाइयां हैं, जिनका सेवन करना अति शुभ माना जाता है। इनमें कई तरह की पारंपरिक मिठाइयां और व्यंजन का भंडार देखने को मिलता है।
उत्तर भारत का प्रसिद्ध व्यंजन
कई घरों में सावन के दिनों में घेवर, मालपुआ जैसे पकवान बनाए जाते हैं। वहीं, उत्तर भारत की बात करें तो यहां फेनी श्रावण मास में बड़े ही चाव से खाई जाती है। यह देखने में जालीदार होती है, मुंह में रखते ही घुल जाती है। इसकी मिठास और खुशबू इतनी ज्यादा स्वादिष्ट और जबरदस्त होती है कि आप इसे बिना खाए रह नहीं सकते। सावन की मिठाइयों में फेनी को एक खास जगह मिला हुआ है। हालांकि, आज के आर्टिकल में हम आपको यह बताएंगे कि आखिर फेनी को सावन के महीने में ही क्यों खाया जाता है? इसे स्पेशली हरियाली तीज या रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर ही क्यों सर्व किया जाता है? इसका संबंध केवल स्वाद से ही नहीं, बल्कि अन्य किन चीजों से जुड़ा है? साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि इसका इतिहास क्या रहा है…
सावन में होती है डिमांड
सावन के महीने में जितनी डिमांड घेवर की होती है, उतनी ही फेनी की भी होती है। दरअसल, इसके पीछे मौसम का बहुत बड़ा हाथ होता है, क्योंकि बारिश के कारण नमी बढ़ जाती है। ऐसे में फेनी जल्दी खराब नहीं होती। ऐसा कहा जाता है कि जितनी ज्यादा नमी होगी, यह मिठाई उतनी ही ज्यादा स्वादिष्ट होगी। नमी के कारण फैनी का मुलायमपन बरकरार रहता है। ऐसे में इसे खाने का मजा दो गुना हो जाता है।
बनाने में लगती है मेहनत
स्वाद में लाजवाब फेनी खासकर हरियाली तीज और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर खाने को मिलती है। इस दौरान दुकानों में इसकी डिमांड काफी अधिक हो जाती है। कई जगह इसे बहुत अधिक रेट में बेचा जाता है। इसको बनाना बहुत ही ज्यादा कठिन होता है। इसके लिए बहुत ही लंबी मेहनत के साथ 3 दिन का समर्पण चाहिए होता है, तब जाकर यह मिठाई बन पाती है। ऐसे में इसका स्वाद लाजवाब होना लाजमी है।
इतिहास
फेनी के इतिहास की बात करें तो यह राजस्थान से जुड़ा हुआ माना जाता है। कई परिवार सैकड़ों सालों से इस मिठाई को बनाते आ रहे हैं। राजस्थान के सांभर की फेनी राजा-महाराजाओं को बहुत ही ज्यादा पसंद आई थी। इतिहासकारों की मानें, तो सम्राट पृथ्वीराज चौहान की शादी में भी इस मिठाई को परोसा गया था, जिसे शाही मिठाई का दर्जा प्राप्त हुआ और यह आने वाले मेहमानों को बहुत ही पसंद आया था। तब से ही सावन के महीने में इस मिठाई को खाने की परंपरा है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग, हर वर्ग के लोग इसे बड़े ही आनंद के साथ खाते हैं।





