भोपाल , डेस्क रिपोर्ट । आयुर्वेद में किसी भी द्रव्य का धमाल 2 तरीके से किया जाता है। आहार के रूप में या फिर औषधि के रूप में बहुत कम ही ऐसे द्रव्य है, जिनका प्रयोग आहार और औषधि दोनों के रूप में किया जाता है । उन्हीं में से एक है सौंफ । हरे रंग का जीरे की तरह एक द्रव्य होता है। सौंफ दो प्रकार के होते हैं छोटी और बड़ी , सौंफ का इस्तेमाल औषधि के लिए अत्यधिक किया जाता है। ग्रीक माइथॉलजी के अनुसार सौंफ का इस्तेमाल भगवान से आग चुराने में करते थे। औषधि की तरह सौंफ का इस्तेमाल करने का प्रचलन बहुत पुराना है । अलग-अलग जगह पर इसे अलग-अलग नामों से भी पुकारा जाता है। बांग्ला में ममोरी , फारसी में बदयार , गुजराती में बरियारी इत्यादि। आयुर्वेद जगत में सौंफ को ऐसा द्रव्य माना जाता है, जो गुणों से संपन्न हो होता है , तथा रस एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अच्छा होता है । इसका इस्तेमाल बाल से लेकर ग्रोथ तक किया जाता है।
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सौंफ का सेवन करने से गैस की समस्या का भी समाधान होता है , तथा इससे पाचन क्रिया भी सही होता है। इसके अलावा सौंफ आंखों की रोशनी बढ़ाने में लाभकारी माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सौंफ का इस्तेमाल बुखार में भी काफी लाभदायक होता है। पेशाब के दौरान होने वाले जलन को भी कम करने के लिए सौंफ का इस्तेमाल किया जा सकता है। सूखी खांसी और मुख रोगों के दौरान इसे चूसने से बहुत ज्यादा फायदे होते हैं। सौंफ का इस्तेमाल बच्चों के पाचन क्रिया और पेट दर्द को ठीक करने के लिए किया जाता है । इसके जड़ का क्वाथ पिलाने से विरेचन होता है, तो वही सौंफ के पत्तों का रस बनाकर पिलाने से पेशाब की रुकावट से ग्रसित लोगों की समस्या भी ठीक हो जाती है। आहार के रूप में इसके मूल और कलियों को पकाकर खाया जाता है। बता दें कि इसके पत्ती और तनो का प्रयोग सलाद के रूप में भी किया जाता है , और इसके बीजों का इस्तेमाल टोमेटो सूप और अचार बनाने में भी किया जाता है। मुंह में दबाकर रखने मुंह से आने वाली बदबू खत्म हो जाती है , इसके तेल को परफ्यूम बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।