दुनिया का पहला ईमेल भेजते समय दूसरी तरफ नहीं था कोई रिसीवर, जानिए कैसे हुई डिजिटल मैसेजिंग की शुरुआत

आज ईमेल हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। ऑफिस में मीटिंग शेड्यूल करने से लेकर दोस्तों को बधाई संदेश भेजने तक..ईमेल हर जगह है। अब ईमेल का रूप भी बदल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से स्मार्ट ईमेल सिस्टम बन रहे हैं जो स्पैम को रोकते हैं, जवाब को ऑटोमेट करते हैं, यहां तक कि आपकी राइटिंग स्टाइल भी सीख लेते हैं। लेकिन रे टॉमलिंसन का वो पहली ईमेल हमेशा याद रखा जाएगा, जब एक अकेले कंप्यूटर वैज्ञानिक ने खुद को ही संदेश भेजकर इतिहास रच दिया था।

आज हम जिस डिजिटल दुनिया में रह रहे हैं वहां हर मिनट लाखों ईमेल इधर-उधर भेजे जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईमेल शुरुआत एक ऐसे संदेश से हुई थी जिसका कोई रिसीवर ही नहीं था। जब दुनिया का पहला ईमेल भेजा गया तो दूसरे साइड पर इसे प्राप्त करने के लिए कोई नहीं था।

ईमेल यानी इलेक्ट्रॉनिक मेल, एक ऐसा डिजिटल संदेश है जो इंटरनेट के ज़रिए एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक भेजा जाता है। आज हम इसे Gmail, Outlook या Yahoo जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इस्तेमाल करते हैं लेकिन 1971 में यह एक क्रांतिकारी विचार था। ईमेल ने पत्राचार को रफ्तार दी और दुनिया को पहले से कहीं ज़्यादा करीब ला दिया। इसमें टेक्स्ट, इमेज, फाइल्स, और यहाँ तक कि वीडियो भी भेज सकते हैं महज़ कुछ ही सेकंड में आपका संदेश दुनिया के किसी भी कोने में पहुंच जाता हैं।

पहले ईमेल की कहानी

ईमेल एक ऐसा संदेश जो इंटरनेट के ज़रिए पलक झपकते ही एक कंप्यूटर से दूसरे तक पहुंच जाता है। आज पूरी दुनिया में करीब 4.48 अरब ईमेल यूज़र्स हैं और हर दिन 361 अरब से ज़्यादा ईमेल भेजे जाते हैं। लेकिन इस डिजिटल संवाद का बीज 1971 में बोया गया था और मज़े की बात ये है कि जब पहली ईमेल भेजी गई तो कोई रिसीवर था ही नहीं।

1971 में रे टॉमलिंसन अमेरिका की एक रिसर्च कंपनी BBN में काम कर रहे थे। वे ARPANET (आधुनिक इंटरनेट का शुरुआती रूप) पर एक प्रयोग कर रहे थे। उस समय रे ने दो कंप्यूटरों के बीच एक संदेश भेजने का तरीका खोजा जो एक ही नेटवर्क पर थे। लेकिन क्योंकि उस समय ARPANET पर बहुत कम लोग थे, रे ने पहला ईमेल अपने ही अकाउंट पर भेजा। और ये पहला संदेश था “QWERTYUIOP” यानी कीबोर्ड की पहली पंक्ति के अक्षर। रे ने बाद में बताया कि यह कोई खास संदेश नहीं था, बस एक टेस्ट था। लेकिन यही टेस्ट डिजिटल संचार की दुनिया में एक मील का पत्थर बन गया।

‘@’ का जन्म

रे टॉमलिंसन ने ही ईमेल एड्रेस में @ चिह्न का इस्तेमाल शुरू किया, जो यूज़र और कंप्यूटर के नाम को अलग करता है। उदाहरण के लिए ray@bbn.com में “ray” यूज़र है और “bbn.com” सर्वर। यह छोटा-सा चिह्न आज ईमेल का सबसे बड़ा प्रतीक है। रे ने बाद में मजाक में कहा “मुझे नहीं पता था कि ‘@’ इतना मशहूर हो जाएगा”। रे टॉमलिंसन ने एक बार हंसते हुए कहा था “मैंने सोचा था कि यह एक छोटा-सा प्रयोग है, लेकिन यह तो पूरी दुनिया का हिस्सा बन गया।

उस समय की चुनौतियां

उस दौर में ईमेल भेजना आज जैसा आसान नहीं था। तब कंप्यूटर बड़े-बड़े थे, इंटरनेट काफी धीमा था और नेटवर्क पर बहुत कम लोग जुड़े हुए थे। रे को दो कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए SNDMSG (Send Message) और CPYNET जैसे प्रोग्राम्स का इस्तेमाल करना पड़ा। फिर भी उनका यह प्रयोग इतना सफल रहा कि इसने इंटरनेट की दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया।


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News