दिमाग में अटके विचारों से पाइये छुटकारा, बेहद कारगर उपाय

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कई बार होता है कि हमारे ज़हन में कोई खयाल अटक जाता है। हम उससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं लेकिन वो जाता ही नहीं। ऐसे जिद्दी खयाल या विचार हमें परेशान कर डालते हैं और कई बार तो रातों की नींद तक उड़ा देते हैं। इनमें करियर से जुड़े सवाल, जटिल प्रेम संबंध, अपनों को लेकर फिक्र, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, भविष्य की चिंता से लेकर सैंकड़ों जाने अनजाने खयाल हो सकते हैं। ऐसे सवाल या विचार हो हमें किसी एक जगह रोक लेते हैं वो हमारी तरक्की के लिए भी घातक होते हैं। इसीलिए उनको छिटकना और निजात पाना जरुरी है। आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं जिन्हें आजमाकर आप इन विचारों से छुटकारा पा सकते हैं।

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  • पहली और जरुरी बात..खुद को जज मत कीजिए। अगर आप ऐसे विचारों से परेशान या खीजकर खुद को जज करने लगेंगे तो ये आपके मन में और गहरे पैठ जाएंगे।
  • खुद को ये याद दिलाते रहिए कि ये विचार आपके व्यक्तित्व को परिभाषित नहीं करते हैं। ये विचार स्थितिजन्य हैं और समय के साथ इन्हें दूर होना ही है।
  • अपने दिमाग को परेशान करने की बजाय ये सोचिए कि आपका दिमाग एक स्टोरी टेलर है और वो सिर्फ अपना काम कर रहा है। जैसे ही उसे इससे बेहतर कहानी या विचार मिलेगा, वो इसे छोड़ देगा।
  • इसीलिए किसी और बेहतर और जरुरी विचार के बारे में सोचिए। कोई वजह पैदा कीजिए कि आपका दिमाग डायवर्ट हो। वो कुछ भी हो सकती है..कोई आपकी रुचि का काम, स्पोर्ट, घूमना या दोस्तों से मिलना। अपने लिए एक करियर गोल तय कर लीजिए और उसमें जुट जाइये या फिर कोई नई भाषा सीखने लगिए। इससे आपके दिमाग को नया काम मिल जाएगा।
  • हम जब भी दुखी होते हैं या परेशान तो उसके लिए एक सबसे सरल और सटीक उपाय है। आपका मन विचलित है तो किसी हरे भरे पेड़ को कुछ देर देखते रहिए, या किसी फूल पर ध्यान केंद्रित कीजिए। किसी नदी या पहाड़ को देखिए। ठंडी हवा में कुछ देर बैठिये। प्रकृति को देखने से हमारा मन पवित्र होता है। जिस तरह पानी या साबुन हमारे शरीर को साफ करते हैं, प्रकृति दर्शन हमारे मन को स्वच्छ करता है।
  • कहते हैं अपनी जरुरतों पर कंट्रोल रखना चाहिए। लेकिन जब आप किसी विचार की गिरफ्त में हों और उससे निकल नहीं पा रहे हों तो अपनी जरुरत को बढ़ा लीजिए। अपने लिए कुछ नया खरीदने के बारे में सोचिए और उसके लिए प्रयास कीजिए। या फिर किसी ट्रिप पर जाने की प्लानिंग कीजिए। इससे आपके प्रयास दूसरी दिशा में मुड़ जाएंगे और आपके दिमाग में नए विचार पैदा होंगे।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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