मूर्धन्य कथाकार निर्मल वर्मा की पुण्यतिथि आज, सीएम शिवराज ने दी श्रद्धांजलि

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज मूधर्न्य साहित्कार निर्मल वर्मा की पुण्यतिथि है। हिंदी के आधुनिक कथाकारों में उनका नाम अग्रणी है। 3 अप्रैल 1929 को जन्मे निर्मल वर्मा को उनके साहित्यिक अवदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, मूर्तिदेवी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार सहित कई पुरस्कार और सम्मानों से नवाज़ा चा चुका है। उनकी प्रमुख कृतियों में वे दिन, लाल टीन की छत, एक चिथड़ा सुख, रात का रिपोर्टर, अंतिम अरण्य, परिंदे, जलती झाड़ी सहित कई कहानी संग्रह व उपन्यास शामिल है। 25 अक्टूबर 2005 को वे इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन अपने लेखन के माध्यम से वे हमेशा हमारे बीच मौजूद रहेंगे। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी है। आज हम पढ़ेंगे उनकी एक चर्चित कहानी।

                                                     परिंदे

अँधेरे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गयी। दीवार का सहारा लेकर उसने लैम्प की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बैडौल कटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नम्बर कमरे में लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाजा खटखटाया। शोर अचानक बंद हो गया। “कौन है?”


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।