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Sun, Dec 7, 2025

पुराने प्लास्टिक डिब्बे में इस तरह उगाएं ताज़ी मूली, कम मेहनत में मिलेगा दोगुना फल

Written by:Bhawna Choubey
घर पर ताज़ी और स्वच्छ मूली उगाना अब आसान है। प्लास्टिक डिब्बे में मूली उगाने का तरीका कम मेहनत, कम जगह में अधिक पैदावार देता है और आपके खाने को बनाता है पौष्टिक और केमिकल फ्री।
पुराने प्लास्टिक डिब्बे में इस तरह उगाएं ताज़ी मूली, कम मेहनत में मिलेगा दोगुना फल

आज के समय में घर के खाने में ताजगी और पौष्टिकता सबसे महत्वपूर्ण है। शहरों में बाजार की सब्जियों में रसायन और कीटनाशक मिलावट आम बात है। ऐसे में घर पर प्लास्टिक डिब्बे या छोटे कंटेनरों में मूली (Radish) उगाना न केवल सुरक्षित है बल्कि मजेदार और सीखने योग्य अनुभव भी है।

किसी बड़े बगीचे की जरूरत नहीं। छोटे बालकनी, छत, या बरामदे में भी यह तरीका अपनाया जा सकता है। इस लेख में हम आपको मूली उगाने का सरल और प्रभावी तरीका बताएंगे, जिससे आप कम समय और मेहनत में भर-भर के ताज़ा मूली प्राप्त कर सकें।

प्लास्टिक डिब्बे में मूली उगाने के लिए जरूरी सामग्री

  • प्लास्टिक डिब्बा या कंटेनर
  • हल्की, उपजाऊ और नमी बनाए रखने वाली मिट्टी
  • ताज़ा मूली के बीज
  • सिंचाई का पानी

मूली उगाने की सरल विधि

  • नीचे छेद करके पानी निकासी सुनिश्चित करें।
  • डिब्बे को 2/3 हिस्से तक उपजाऊ मिट्टी से भरें।
  • बीजों को 1-2 सेंटीमीटर गहराई में लगाएँ और हल्की मिट्टी से ढक दें।
  • हल्के हाथों से पानी डालें ताकि मिट्टी नम रहे।
  • कंटेनर को रोज़ाना 4-5 घंटे धूप में रखें।
  • समय-समय पर खरपतवार हटाएं।

सिंचाई, मिट्टी और जैविक खाद

सिंचाई और मिट्टी का सही चुनाव इस पूरी प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए हल्की और नियमित सिंचाई पर्याप्त रहती है। मिट्टी में गोबर या जैविक खाद मिलाने से पौधे पोषण प्राप्त करते हैं और उनका विकास बेहतर होता है। कीटों से बचाव के लिए रासायनिक स्प्रे की बजाय नीम का घोल या जैविक उपाय अपनाना सुरक्षित रहता है। धूप और हवा की उचित व्यवस्था से पौधे स्वस्थ और मजबूत रहते हैं।

प्लास्टिक डिब्बों में मूली उगाना

प्लास्टिक डिब्बे में मूली उगाना न केवल शहरी खेती के लिए उपयुक्त है बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी फायदेमंद है। पुराने प्लास्टिक कंटेनरों का दोबारा उपयोग करके कचरे में कमी लाई जा सकती है। कम संसाधनों में अधिक उत्पादन से शहरी क्षेत्रों में हरियाली और ताजगी बनी रहती है। इस तरह यह तरीका न सिर्फ घर के भोजन को सुरक्षित और पौष्टिक बनाता है बल्कि पर्यावरण और सतत खेती की दिशा में भी योगदान देता है।