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Fri, Dec 19, 2025

अपने गमले से तोड़ें ताज़ी हरी मिर्च, जानें घर पर उगाने का सबसे आसान और फ्री तरीका

Written by:Bhawna Choubey
Published:
महंगी होती जा रही हरी मिर्च से अब परेशान होने की ज़रूरत नहीं। इस लेख में जानिए एक बेहद आसान और बिल्कुल मुफ्त तरीका, जिससे आप अपने घर के गमले में ही हरी मिर्च उगा सकते हैं। न ज़मीन की जरुरत, न ज्यादा मेहनत।
अपने गमले से तोड़ें ताज़ी हरी मिर्च, जानें घर पर उगाने का सबसे आसान और फ्री तरीका

हर दिन बढ़ती महंगाई में सब्ज़ियों की कीमतें आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रही हैं। खासकर हरी मिर्च (Green Chilli) जैसी रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें अब 200 रुपये किलो तक पहुंच रही हैं। ऐसे में एक रास्ता है जिससे आप न केवल पैसे बचा सकते हैं, बल्कि हरी, ताज़ी और बिना केमिकल वाली मिर्च अपने घर में उगा भी सकते हैं।

अगर आप भी सोचते हैं कि मिर्च उगाने के लिए खेत या बगीचे की ज़रूरत होती है, तो आपको बता दें कि यह पूरी तरह से गलत है। एक छोटा-सा गमला, थोड़ी-सी मिट्टी और यह घरेलू तरीका आपके लिए मिर्च उगाने की पूरी प्रक्रिया को बेहद आसान बना देगा।

घर पर हरी मिर्च कैसे उगाएं

हरी मिर्च उगाने के लिए क्या-क्या चाहिए?

इस काम के लिए आपको बहुत ज्यादा चीज़ों की ज़रूरत नहीं है। एक पुराना गमला, थोड़ी उपजाऊ मिट्टी, और रसोई में रखी हुई कुछ सूखी हरी मिर्च के बीज बस इतना ही काफी है। चाहें तो प्लास्टिक की कोई पुरानी बाल्टी या डिब्बा भी गमले के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।

बीज कैसे तैयार करें और मिट्टी कैसी होनी चाहिए?

आपको हरी मिर्च की सूखी फलियां लेनी हैं और उनमें से बीज निकालने हैं। इन्हें एक दिन के लिए पानी में भिगो दें ताकि अंकुर जल्दी निकल सके। गमले में ऐसी मिट्टी भरें जिसमें नमी अच्छी बनी रहे। मिट्टी में थोड़ी खाद या गोबर भी मिला सकते हैं ताकि पोषण बना रहे।

सिंचाई और धूप का ध्यान रखें

गमले को ऐसे स्थान पर रखें जहां 4-5 घंटे सीधी धूप मिलती हो। शुरुआत में रोज़ हल्का पानी दें लेकिन ज़्यादा नहीं ताकि बीज गल न जाएं। जब पौधा बड़ा होने लगे, तब पानी की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं। लगभग 40-50 दिन में आपको ताज़ी हरी मिर्च तोड़ने को मिल सकती है।

घरेलू मिर्च उगाने के फायदे

घर में मिर्च उगाना केवल महंगाई से राहत नहीं देता, बल्कि आपको शुद्ध, रसायन-मुक्त सब्ज़ी भी देता है। इसके अलावा ये प्रक्रिया बच्चों को भी प्रकृति से जोड़ती है और उन्हें खेती के प्रति जागरूक बनाती है।