व्यक्तित्व यानी पर्सनालिटी (Personality) ही आपकी असली पहचान होती है, लेकिन कभी-कभी जाने-अनजाने में हम कुछ ऐसी आदतें अपना लेते हैं जो हमें डोमिनेटिंग इंसान बना देती हैं। ऐसे लोग हमेशा दूसरों पर अपनी राय थोपने की कोशिश करते हैं, चाहे वह ऑफिस हो या निजी रिश्ते।
डोमिनेटिंग नेचर वाला व्यक्ति अक्सर यह सोचता है कि वही सही है और दूसरों की सोच या भावना को अहमियत नहीं देता। धीरे-धीरे यह व्यवहार न सिर्फ आपके रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि आपकी सोशल इमेज भी खराब कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी उन आदतों की पहचान करें जो हमें डोमिनेटिंग बना रही हैं।

इन आदतों से बनती है डोमिनेटिंग पर्सनालिटी
1. हर बात में कंट्रोल करना चाहते हैं आप?
अगर आप हर काम में खुद की मर्जी थोपने की कोशिश करते हैं, तो यह संकेत है कि आप में कंट्रोलिंग बिहेवियर है। डोमिनेटिंग लोग अक्सर यही मानते हैं कि काम सिर्फ उनके तरीके से ही सही होता है, और जब कोई दूसरा तरीका अपनाए तो उन्हें गुस्सा आता है।
ऐसे व्यवहार से सामने वाला व्यक्ति असहज महसूस करता है और बातचीत से दूरी बनाने लगता है। ऑफिस में यह आदत टीमवर्क को खराब करती है, जबकि घर में यह रिश्तों में कड़वाहट भर सकती है।
2. दूसरों की राय को नज़रअंदाज करना
डोमिनेटिंग इंसान अक्सर दूसरों की बात को काट देते हैं या उनकी राय को महत्व नहीं देते। वे बातचीत में हावी हो जाते हैं और चाहते हैं कि केवल उनकी बात मानी जाए।
इस तरह का रवैया आपके रिश्तों में भावनात्मक दूरी पैदा करता है। जब सामने वाला बार-बार नजरअंदाज होता है, तो वह खुद को कमजोर या कमतर महसूस करने लगता है, और यह किसी भी रिश्ते के लिए खतरनाक हो सकता है।
3. अपनी गलती मानने में हिचकिचाना
अगर आप अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते और हर बार दूसरों को दोषी ठहराते हैं, तो यह एक और बड़ा संकेत है कि आप डोमिनेटिंग नेचर के हैं। डोमिनेटिंग पर्सनालिटी के लोग अक्सर खुद को परफेक्ट समझते हैं और गलती होने पर भी अपनी जिम्मेदारी नहीं लेते। इससे वे खुद को दूसरों से ऊपर समझने लगते हैं, जो अंततः अहंकार में बदल सकता है। गलती मानना इंसान को बड़ा बनाता है, लेकिन इसे न मानना आपकी पर्सनालिटी को कमजोर कर सकता है।
डोमिनेटिंग आदतों से बचे रहने के लिए क्या करें?
- अगर आप इन आदतों को पहचान चुके हैं, तो जरूरी है कि आप खुद को समय रहते सुधारें और संतुलन बनाएं।
- सबसे पहले, सुनने की आदत डालें। दूसरों की बातों को गंभीरता से सुनें और उनकी राय को महत्व दें।
- हर समय कंट्रोल करने की कोशिश न करें, कभी-कभी दूसरों को भी निर्णय लेने का मौका दें।
- गलती होने पर माफ़ी मांगने और स्वीकार करने में संकोच न करें।
- एक अच्छी पर्सनालिटी वो होती है जो दूसरों को भी साथ लेकर चलती है, न कि उन्हें दबाकर।