हरियाली तीज (Hariyali Teej 2025) सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि हर उस स्त्री के लिए विशेष दिन होता है जो अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती है। 2025 में हरियाली तीज 30 जुलाई को मनाई जाएगी। सावन की हरियाली और प्रेम की मिठास से भरपूर इस दिन का खास इंतज़ार उत्तर भारत की महिलाएं करती हैं।
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, पारंपरिक गीत गाती हैं, झूले झूलती हैं और सबसे अहम बात – हाथों में सुंदर मेहंदी रचाती हैं। लेकिन सिर्फ सजने-संवरने के लिए ही नहीं, बल्कि इसके पीछे एक पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व भी छिपा है, जो मां पार्वती और भगवान शिव से जुड़ा है।
मेहंदी लगाने का पौराणिक और धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, हरियाली तीज का दिन मां पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने की तपस्या के पूर्ण होने का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती ने 108 बार जन्म लिया था शिवजी को पाने के लिए, और हरियाली तीज पर ही उनका व्रत सफल हुआ था। इसलिए इस दिन महिलाएं मां पार्वती का रूप धारण कर व्रत रखती हैं और मेहंदी लगाकर उनकी तरह अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
मेहंदी को माना गया सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक
भारतीय परंपरा में मेहंदी को सिर्फ श्रृंगार का हिस्सा नहीं, बल्कि शुभता और सौभाग्य का संकेत माना गया है। मेहंदी की खुशबू जितनी गहरी होती है, माना जाता है कि पति का प्यार भी उतना ही गहरा होता है। हरियाली तीज पर मेहंदी लगाना इस विश्वास को और मज़बूत करता है कि प्रेम, समर्पण और विश्वास से भरे रिश्ते की शुरुआत इसी तरह हो।
मेहंदी रचाने से जुड़ी सामाजिक परंपरा और उत्सव का माहौल
हरियाली तीज सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी एक उत्सव बन गया है। इस दिन महिलाएं सामूहिक रूप से एक-दूसरे के हाथों में मेहंदी लगाती हैं, गीत गाती हैं और पारंपरिक कपड़े पहनती हैं। बाजारों में मेहंदी कलाकारों की भीड़ लग जाती है, और सोशल मीडिया पर भी हाथों की डिजाइन ट्रेंड बन जाती हैं। ये परंपरा महिलाओं के बीच एकता, प्रेम और सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ावा देती है।





