Health: मानसून का मौसम आते ही स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां बढ़ जाती हैं। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे मच्छर जनित रोगों के साथ-साथ अब चांदीपुरा वायरस भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। विशेष रूप से गुजरात में इस वायरस के तेजी से फैलने के कारण लोगों में भय व्याप्त है। यह वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है और मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी को प्रभावित कर सकता है।
क्या है चांदीपुरा वायरस
चांदीपुरा वायरस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर वायरस है जिसकी पहली पहचान 1965 में भारत के महाराष्ट्र राज्य के चांदीपुरा गांव में हुई थी। यह वायरस रबडोविरिडे परिवार से संबंधित है और मादा फ्लोबोटोमाइन मक्खी, मच्छरों, टिक्स और सैंडफ्लाइज के काटने से फैलता है। भारत में यह वायरस 2004-2006 और 2019 में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में फैल चुका है। चांदीपुरा वायरस के कारण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन हो सकती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
चांदीपुरा वायरस के लक्षण
चांदीपुरा वायरस एक गंभीर संक्रमण है जो बुखार, फ्लू जैसे सामान्य लक्षणों के साथ-साथ एक्यूट एन्सेफलाइटिस यानी दिमाग की सूजन का कारण बन सकता है। संक्रमित व्यक्ति में बुखार, दस्त, उल्टी और शरीर में अकड़न जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में यह कोमा और यहां तक कि मृत्यु तक भी ले जा सकता है। चिंताजनक बात यह है कि यह वायरस मुख्य रूप से 9 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है, जिससे बच्चों और उनके परिवारों के लिए यह एक बड़ा खतरा बन गया है।
चांदीपुरा वायरस से बचाव के उपाय
चांदीपुरा वायरस से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं। सबसे पहले, मच्छरों से बचाव करना जरूरी है, क्योंकि ये वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है। मच्छरदानी का इस्तेमाल करना, घर के आसपास पानी जमा न होने देना, मच्छर भगाने वाले तरल पदार्थों का उपयोग करना और फुल आस्तीन के कपड़े पहनना जैसे उपाय मच्छरों से बचाव में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, स्वच्छता का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। हाथों को बार-बार धोना, पके हुए भोजन को ढककर रखना और दूषित पानी न पीना भी इस वायरस से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है। यदि आपको इस वायरस के कोई भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।