दादी नानी के जमाने में मिट्टी के बर्तनों में चूल्हे पर खाना पकाया जाता था। वह एक दौर था, जब लोग बहुत कम बीमार पड़ते थे, क्योंकि उस वक्त लोग केवल घर का बना खाना ही खाया करते थे। खान-पान सही था, घर के बने हुए मसाले लोगों की सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाते थे। इसके अलावा, लाइफस्टाइल वर्तमान से काफी अलग थी। वहीं, महिलाएं नीचे बैठकर खाना बनाती थी। ऐसे में बार-बार उठने और बैठने से उनका वर्कआउट भी हो जाता था, जिस कारण वह लंबे समय तक बीमार नहीं होती थी।
हालांकि, जैसे-जैसे जमाना बदलता गया… सभी चीजों में बदलाव हो चुका है। आजकल लोग स्टील के बर्तन में खाना बनाते हैं। जिसका असर स्वास्थ्य पर भी देखने को मिलता है।
मिट्टी के बर्तन में बनाएं खाना
वैसे आज भी कुछ गांव ऐसे हैं, जहां मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है। दूध और दही से लेकर खाना बनाने में मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल हो रहे हैं। इससे खाने का स्वाद दोगुना हो जाता है। साथ ही सेहत को बहुत सारे फायदे मिलते हैं। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से सोंधी खुशबू आती है, जिससे लोग बड़े चाव से खाने को खाते हैं। जब भी आप खुशी-खुशी खाना खाते हैं, तो आपको पूरा पोषण मिलता है।
मिलेंगे ये फायदे
- मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से उसमें लंबे समय तक नमी बनी रहती है। ऐसे में भोजन जल्दी बासी नहीं होता। आप उसे देर तक रख कर भी खा सकते हैं। कई सारे होटल में मिट्टी के बर्तनों में खाना पका कर दिया जाता है, जिसे लोग हांडी के नाम से जानते हैं।
- मिट्टी के बर्तन में पका हुआ खाना खाने से शरीर को ठंडक पहुंचती है। इससे पेट को आराम मिलता है और एसिडिटी की समस्या कम होती है। यदि आप पेट में जलन, कब्ज या फिर एसिडिटी की समस्या से परेशान है, तो आप मिट्टी के बर्तन में बने हुए भोजन को खाएं। इसका असर आपको कुछ ही दिनों में देखने को मिल जाएगा, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है। यह खाने के पीएच लेवल को बराबर रखता है।
- मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से तेल की खपत भी कम होती है, जिससे तमाम तरह की होने वाली बीमारियां कोसों दूर रहती है। तेल की मात्रा यदि खाने में कम हो, तो इससे वजन कम होता है। साथ ही अन्य तरह की शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





