क्या आपके पास है बोरिंग फोन! स्मार्टफोन के जवाब में Heineken का ‘Boring Phone’ अभियान, जानिए डिटेल्स

कोई भी सुविधा कभी मुफ्त नहीं मिलती। ये बात तकनीक पर भी लागू होती है। हम तकनीकी रूप से जितना एडवांस हो रहे हैं, उसका किसी न किसी रूप में साइड इफेक्ट भी देखने को मिलता है। यही बात स्मार्टफोन के लिए भी कही जा सकती है। आज स्मार्टफोन पर हमारी निर्भरता इतनी बढ़ गई है कि हम जैसे इसके एडिक्ट होते जा रहे हैं। ऐसे में डिजिटल डिटॉक्स के लिए कई लोग अब नए-नए प्रयोग कर रहे हैं, तरीके ढूँढ रहे हैं।

Heineken Boring Phone

Heineken Boring Phone, A Refreshing Break from Smartphone : आज स्मार्टफोन का ज़माना है। अब हमारे फोन में सारी दुनिया समाई गई है। चाहे पैसे का लेनदेन हो या कोई रिजर्वेशन-बुकिंग, किसी के साथ फोटो शेयर करनी हो या शादी-डेटिंग के लिए पार्टनर ढूंढना हो..तमाम काम हैं जो आप घर बैठे एक क्लिक से कर सकते हैं। स्मार्टफोन और डिजिटल युग में सोशल मीडिया ने जीवन में इतनी जगह घेर ली है कि कई लोग अब रियल लाइफ से ज्यादा वर्चुअल लाइफ में engage हो गए हैं। लेकिन ये स्मार्टफोन कहीं आपके जीवन का असली रंग तो नहीं छीन रहे ?

आज दुनिया में कई जगह सोशल मीडिया और मोबाइल फोन के दुष्प्रभाव को लेकर बहस छिड़ गई है। लोग ‘डिजिटल-डिटॉक्स’ की ज़रूरत को समझ रहे हैं और इस ओर कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसे में क्या हो अगर आपके हाथ में ‘स्मार्टफोन’ की जगह एक ‘बोरिंग फोन’ आ जाए। एक ऐसा फोन जिसमें बस बेसिक जरूरतों का इंतज़ाम हो और बाकी कोई तामझाम न रहे। हेनेकेन का ‘बोरिंग फोन’ इसी पर आधारित है।

क्या आपको याद है वो ज़माना..

हम में से कई लोगों को वो समय याद होगा जब एसटीडी-पीसीओ में लाइन लगाकर फ़ोन किए जाते थे। रात के समय कॉलिंग-चार्जेस कम होते थे इसलिए कई लोग अपनों से बात करने के लिए रात होने का इंतज़ार करते। उस समय घर में एक लैंडलाइन फोन हुआ करता था और वो पूरे परिवार के लिए काफी था। फिर धीरे-धीरे मोबाइल फोन मार्केट में आए। शुरुआत में तो मोबाइल फोन पर इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसे चुकाने पड़ते थे। लेकिन ये तसल्ली थी कि आपके हाथ में एक ऐसा फोन है जिसे लेकर आप कहीं भी जा सकते हैं। बाहर रहने वाले बच्चों और माता-पिता के बीच इस मोबाइल फोन ने एक बड़े सेतु का काम किया। अब फोन करने के लिए किसी दुकान पर जाने या सही समय का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं थी।

मोबाइल फोन से स्मार्टफोन की ओर

तकनीक हमेशा आगे की ओर चलती है। मोबाइल फोन की दुनिया भी धीरे धीरे कॉल और मैसेज से आगे बढ़ी..बढ़ती गई और आज हमारे हाथ में एक स्मार्टफोन है। फोन जो इतना स्मार्ट हो गया है कि अब हमारे ज़्यादातर काम एक क्लिक पर हो जाते हैं। ज़ाहिर है इससे कई सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन हर सुविधा की कोई न कोई कीमत होती है। अब स्थिति ये है कि धीरे धीरे हम इस स्मार्टफोन पर हम इतने आश्रित हो गए हैं कि हमारी दुनिया जैसे इसके इर्दगिर्द सिमट गई है। अब छोटे छोटे बच्चे भी मोबाइल के इतने आदी हो गए हैं कि मोबाइल-एडिक्शन एक बीमारी के रूप में जाना जाने लगा है। हम असली दुनिया से कटते जा रहे हैं और वर्चुअल दुनिया में सिमटते जा रहे हैं। सोशल मीडिया के दौर में वास्तविक रूप से ‘सोशल’ होना  जैसे मायने खोता जा रहा है। लोग इस परेशानी को पहचान रहे हैं।

स्मार्टफोन से ‘बोरिंग फोन’ की ओर

पिछले कुछ सालों में स्मार्टफोन ने हमारी दुनिया बदलकर रख दी है। ऐसे में Heineken का “Boring Phone” एक मजेदार और रचनात्मक तरीका है जो स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग को चुनौती देता है। ये एक अभियान है जिसके तहत Heineken ने अमेरिकी कंपनी Bodega के साथ मिलकर एक विशेष “फ्लिप फोन” लॉन्च किया, जो आजकल के स्मार्टफोन से बिलकुल उलट है। ये “बोरिंग फोन” 18 अप्रैल 2024 को लॉन्च किया गया जो एक सीमित संस्करण वाला “डंब फोन” है जो स्मार्टफोन की अत्यधिक निर्भरता को चुनौती देता है। यह फोन सिर्फ कॉल और SMS भेजने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसमें कोई ऐप्स, सोशल मीडिया या मैप्स जैसी सुविधाएँ नहीं हैं। इसमें इंटरनेट नहीं है और आप किसी भी तरह की ऑनलाइन सुविधा का उपयोग नहीं कर सकते हैं। इस फोन का डिज़ाइन पारदर्शी है, जो इसे और भी अनूठा बनाता है। ये बोरिंग फोन हमें मोबाइल-फोन के उस युग में ले जाता है जब इसकी शुरुआत हुई थी और इसका उपयोग सिर्फ कॉल करने और मैसेज भेजने के लिए होता था।

एक अभियान है Boring Phone

‘बोरिंग फोन’ सिर्फ फोन नहीं बल्कि एक अभियान है। इसका उद्देश्य लोगों को डिजिटल दुनिया से थोड़ी मोहलत लेकर वास्तविक जीवन में एक दूसरे से जुड़ने के लिए प्रेरित करना है। Heineken ने इस फोन के विज्ञापन में भी ये दिखाया है कि स्मार्टफोन के बिना लोग अपने अनुभवों को और अधिक अच्छे तरीके से महसूस कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, बिना GPS के नई जगहों की खोज करना, जोकि एक रोचक अनुभव होता है। संदेश यही है कि हमारी तकनीकी निर्भरता कम हो और हम मानवीय संपर्क और संबंध पर अधिक ज़ोर दें। इसका उद्देश्य खासकर युवाओं को आकर्षित करना है जो आजकल डिजिटल दुनिया में गुम से हो गए हैं। एक शोध से पता चला है कि 90% लोग रात में बाहर निकलते समय आदतन स्क्रॉलिंग करते हैं और उनमें ज्यादा हिस्सा युवाओं का होता है। अभियान यह बताने की कोशिश है कि ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल हमारे असली जीवन के अनुभवों को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है और “बोरिंग फोन” इसके एक समाधान के रूप में पेश किया गया है।

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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