साहित्यिकी में पढ़िए कमलेश्वर की कहानी ‘एक थी विमला’

Sahityiki : आज शनिवार है और अपनी पढ़ने की आदत सुधारने के क्रम हम पढ़ेंगे कमलेश्वर की एक कहानी। कमलेश्वर को बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में शुमार हैं। इन्होने उपन्यास, कहानी, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी विधाओं में काम किया है। ‘कितने पाकिस्तान’ इनका कालजयी उपन्यास है और उसने इन्हें सर्वाधिक ख्याति प्रदान की। अपने 75 साल के जीवन में उन्होने 12 उपन्यास, 17 कहानी संग्रह और क़रीब सौ फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखी हैं। साल 2005 में उन्हें ‘पद्मभूषण’ अलंकरण तथा ‘कितने पाकिस्तान’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है। आज हम पढ़ेंगे उनक कहानी एक थी विमला।

‘एक थी विमला’

पहला मकान–यानी विमला का घर

इस घर की ओर हर नौजवान की आँखें उठती हैं। घर के अन्दर चहारदीवारी है और उसके बाद है पटरी। फिर सड़क है, जिसे रोहतक रोड के नाम से जाना जाता है। अगर दिल्ली बस सर्विस की भाषा में कहें, तो इसका नाम है–रूट नम्बर सत्ताईस। सत्ताईस नम्बर की बस यहीं से गुज़रती है और विमला के घर के ठीक सामने तो नही; बायीं ओर कुछ हटकर बस-स्टॉप है। बस-स्टॉप पर बहुत चहल-पहल रहती है। वहाँ खड़े होने वाले लोग और नौजवान उस सामने वाले घर को आसानी से देख सकते हैं। यह मकान विमला का है, यानी विमला इसमें रहती है, वैसे बाहर खम्भे पर उसके बाप दीवानचन्द के नाम की तख्ती लटक रही है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।