हर भक्त जब मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए पहुंचता है, तो पूजा की शुरुआत घंटी बजाकर करता है। मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण पवित्र हो जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर से निकलते समय भी घंटी बजाना चाहिए या नहीं?
अक्सर लोग दर्शन के बाद भी मंदिर से बाहर निकलते वक्त घंटी बजा देते हैं, लेकिन धर्मशास्त्रों और पुरानी परंपराओं के अनुसार यह गलती शुभ फल की जगह अशुभ फल भी दे सकती है। आइए जानते हैं मंदिर की घंटी से जुड़ी सही मान्यता और उसके पीछे की वजह।
मंदिर की घंटी बजाने से जुड़े जरूरी नियम
सिर्फ प्रवेश करते समय ही बजाई जाती है मंदिर की घंटी
मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजाना एक परंपरा है जो यह संकेत देती है कि आप अब सांसारिक दुनिया को छोड़कर ईश्वर की शरण में आ चुके हैं। यह मानसिक एकाग्रता बढ़ाने में मदद करती है। लेकिन मंदिर से निकलते समय घंटी बजाना धार्मिक रूप से उचित नहीं माना जाता।
लौटते वक्त घंटी बजाना माना जाता है अशुभ
शास्त्रों के अनुसार, जब आप पूजा करके मंदिर से बाहर निकल रहे होते हैं, तब घंटी बजाना उस ऊर्जा और शांति को भंग कर देता है जो आपने पूजा के दौरान अर्जित की होती है। इसलिए कहा जाता है कि बाहर निकलते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए, वरना पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।
ये धार्मिक तर्क भी बताए जाते हैं इसके पीछे
पंडितों और पुरोहितों के अनुसार, मंदिर की घंटी भगवान का आह्वान करने का प्रतीक है। जब आप प्रवेश करते हैं, तब ईश्वर को याद करने के लिए घंटी बजाई जाती है, लेकिन बाहर निकलते वक्त इसका कोई धार्मिक कारण नहीं होता। उल्टा इससे आपकी श्रद्धा पर सवाल उठ सकते हैं।





