MP Breaking News

Welcome

Sun, Dec 7, 2025

‘हो जमालो’ गाना सुनते सुनते बीत गई जिंदगी, पर कब और कैसे बना यह गाना, क्या है 1887 की एक बड़ी घटना से इसका कनेक्शन, पढ़ें

Written by:Rishabh Namdev
क्या आप जानते हैं 'हो जमालो' गीत खुशी, शादी, त्यौहार के मौके पर सिंधी लोगों द्वारा क्यों गाया जाता है? इस गाने के पीछे की कहानी क्या है? आज हम आपको हो जमालो गाने के पीछे की कहानी बता रहे हैं, जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे और खुशी से "हो जमालो" गाना शुरू कर देंगे।
‘हो जमालो’ गाना सुनते सुनते बीत गई जिंदगी, पर कब और कैसे बना यह गाना, क्या है 1887 की एक बड़ी घटना से इसका कनेक्शन, पढ़ें

हो जमालो गाना आपने भी कभी न कभी तो सुना ही होगा। यह गाना बेहद शानदार है। अक्सर इस गाने से लोगों को अलग ही वाइब मिलती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस गाने के पीछे की कहानी बेहद ही अनोखी है। कई लोगों को यह नहीं पता कि इस गाने की शुरुआत कैसे हुई, यह गाना क्या है, क्यों इसे इतना खुशी वाला गाना माना जाता है और इसका सिंध से क्या रिश्ता जुड़ा हुआ है।

चलिए, आज इस खबर में हम आपको इस गाने के पीछे की कहानी बता रहे हैं, जो शायद आपने कभी नहीं सुनी होगी। यह कहानी सुनने के बाद आपको यह गाना और भी ज्यादा अच्छा लगेगा। आप इसे ठीक से समझ पाएंगे और जानेंगे कि यह गाना बहादुरी के पीछे की एक बड़ी कहानी है, जिसे लोग आज उत्सव के रूप में मनाते हैं।

कैसे इस गाने की शुरुआत हुई?

बता दें कि 1887 में ब्रिटिश सरकार ने सिंधु नदी पर सक्कर के पास एक बड़ा रेलवे पुल बनाया था। उस दौरान किसी को भी यह भरोसा नहीं था कि पुल कितना सुरक्षित है। इस कारण से कोई भी उस पर ट्रेन चलाने के लिए तैयार नहीं था। तभी उस दौरान जमालो शीदी नाम का व्यक्ति, जो जेल में मौत की सजा काट रहा था, उसने अंग्रेज अधिकारियों से कहा कि अगर वह उस पुल पर ट्रेन चलाए और सफलतापूर्वक ट्रेन को पुल के पार ले जाए, तो उसे रिहा कर दिया जाए। सभी डरे हुए थे, लेकिन अंग्रेज अधिकारी इसके लिए तैयार हो गए। इसके बाद जमालो ने हिम्मत दिखाई और ट्रेन को सुरक्षित पुल के पार ले गया।

इस कारण से खुशी के मौके पर गाया जाता है यह गाना

जब जमालो ट्रेन को लेकर पुल के पार पहुंच गया, तो उसके परिवार वालों और लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। परिवार और दोस्तों ने ढोल-नगाड़ों के साथ जमालो का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने “हो जमालो” गाना गाया। यहीं से इस जीत की शुरुआत हो गई। धीरे-धीरे यह गीत सिंधी लोककथा का एक हिस्सा बन गया। बता दें कि अब यह सिर्फ एक धुन नहीं, बल्कि हिम्मत और जीत की याद बन चुकी है। सिंध में जब भी कोई खुशी का मौका होता है, जैसे शादी या त्योहार, तो लोग “हो जमालो” गाकर ही उत्सव मनाते हैं। इसीलिए इस गाने के पीछे की कहानी बेहद रोचक है।