होली की अनोखी परंपराएं, जानिए देश के अलग-अलग हिस्सों के अनूठे रीति-रिवाज

आपको ये बात हैरान कर सकती है कि इटावा जिले के सौंथना गाँव में लोग होली के दौरान बिच्छुओं के साथ खेलते हैं। फाग की धुन सुनकर बिच्छू अपने बिलों से बाहर आते हैं, और गाँववासी उन्हें हाथों में उठाकर एक-दूसरे पर फेंकते हैं। मणिपुर में होली को 'योसांग' के रूप में पाँच दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग झोपड़ी जलाने, दान एकत्रित करने और रंग खेलने जैसी गतिविधियां करते हैं। केरल में कोंकणी समुदाय होली को 'मंजुल कुली' के रूप में मनाता है, जहाँ लोग एक-दूसरे पर हल्दी वाला पानी छिड़कते हैं और लोकगीतों पर नृत्य करते हैं।

Shruty Kushwaha
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Holi Unique Traditions : आज होली का पर्व देशभर में उत्साह और उल्लास से खेला जा रहा है। हमारे यहां इतनी सांस्कृतिक विभिन्नताएं हैं कि पर्व-त्योहार एक सूत्र में बांधते हुए भी स्थानीयता की विशेषता से लबरेज़ होते हैं। होली भी देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरह से खेली जाती हैं। इसमें स्थानीय परंपराओं और रीति रिवाजों का प्रभाव होता है जो इस पर्व में और भी रंग भर देते हैं।

देश के विभिन्न हिस्सों में होली की अनूठी परंपराएं देखने को मिलती हैं जो स्थानीय मान्यताओं, ऐतिहासिक घटनाओं और धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी होती हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली खेली जाती है जहां महिलाएं पुरुषों को लाठियों से पीटती हैं, जबकि पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। वहीं, पंजाब में होला मोहल्ला नामक आयोजन किया जाता है, जिसमें सिख योद्धा पारंपरिक युद्धकला का प्रदर्शन करते हैं और घुड़सवारी, तलवारबाजी, और कुश्ती जैसी प्रतियोगिताएं होती हैं। आज हम होली से जुड़ी ऐसी ही कुछ अनोखी परंपराओं और प्रथाओं के बारे में जानेंगे।

डांग, गुजरात: राजा की होली

गुजरात के आदिवासी बाहुल्य डांग जिले में होली का उत्सव दस दिन तक चलता है, जिसे ‘राजा की होली’ कहा जाता है। इस दौरान डांग के राजाओं का सार्वजनिक सम्मान किया जाता है, भव्य दरबार सजता है और होली जलाने की अनूठी परंपरा निभाई जाती है।

कानपुर, उत्तर प्रदेश: आठ दिवसीय होली

कानपुर के हटिया बाजार में होली का जश्न आठ दिनों तक चलता है। यह परंपरा 1942 से शुरू हुई थी जब अंग्रेजों के विरोध में व्यापारियों ने आठ दिनों तक होली मनाई थी। तब से यह परंपरा चली आ रही है।

पीलीभीत, उत्तर प्रदेश: महिलाओं का राज

पीलीभीत के माधोटांडा इलाके में होली के दूसरे दिन महिलाएं पूरे गांव पर राज करती हैं। इस दिन महिलाएं टोलियां बनाकर गांव में घूमती हैं और राहगीरों से फगुआ वसूलती हैं। पुरुष इस दिन घरों में छिप जाते हैं या गांव से बाहर चले जाते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है और महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक है।

हमीरपुर, उत्तर प्रदेश: महिलाओं की बारात

हमीरपुर में होली पर 300 साल पुरानी परंपरा निभाई जाती है, जहां महिलाएं राम-जानकी मंदिर से दूल्हे की बारात निकालती हैं। इस बारात में एक भी पुरुष शामिल नहीं होता। दूल्हे को घोड़े पर बैठाया जाता है और महिलाएं बैंड-बाजे के साथ गांव भर में घूमती हैं।

हरियाणा: डाट होली

हरियाणा के पानीपत जिले के डाहर गांव में डाट होली की परंपरा 1288 ईस्वी से चली आ रही है। इसमें दो टोलियां आमने-सामने होती हैं और एक-दूसरे को पीछे धकेलने की कोशिश करती हैं। इस दौरान महिलाएं छतों से घर के बने रंगों को युवाओं पर उड़ेलती हैं। यह अनोखा खेल देखने के लिए दूर-दूर से लोग पानीपत पहुंचते हैं।

राजस्थान: गोबर की होली

राजस्थान के कुछ इलाकों में गोबर की होली खेली जाती है, जहां पर लोग एक-दूसरे पर गोबर फेंकते हैं। मान्यता है कि इससे समृद्धि प्राप्त होती है और सेहत भी अच्छी रहती है।

झारखंड: विवाह की होली

झारखंड में आदिवासी समाज में होली के दौरान विवाह योग्य लड़का यदि विवाह योग्य लड़की को रंग लगा देता है और इसके जवाब में अगर में लड़की भी उस लड़के को रंग लगा देती है तो दोनों के विवाह को सामाजिक मान्यता मिल जाती है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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