भारत में एक से बढ़कर एक आम की वैराइटीज पाई जाती हैं। हर किसी का स्वाद अलग-अलग होता है। सभी आम की ओरिजिन भी अलग ही होती है। कुछ आम खाने में रसीले होते हैं, तो कुछ थोड़े खट्टे भी होते हैं। हमारे देश की बात करें, तो यहां आम की करी 1500 प्रजातियां पाई जाती है। यहां रहने वाले लोग बड़े चाव से आम को खाते हैं, क्योंकि गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में बाजार तरह-तरह के आम की वैराइटीज से सज-धज कर तैयार है। कोई लंगड़ा आम का दीवाना होता है, तो किसी को 10 दशहरी आम पसंद होता है। कुछ लोग हुस्न आरा आम खाना पसंद करते हैं, तो कुछ लोगों को अल्फांसो पसंद होता है।
आज के आर्टिकल में हम आपको अल्फांसो आम के नामकरण की कहानी बताएंगे। जिसे भारत में आमों का राजा कहा जाता है। यह अपनी मिठास, सुगंध और रसीलेपन के लिए देश ही नहीं, बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है।

भारत का सबसे महंगा आम
अल्फांसो भारत का सबसे महंगा आम है। इसकी कीमत इतनी अधिक होती है कि हर कोई इसे नहीं खरीद पाता है, लेकिन मेंगो लवर फिर भी इसका एक पीस आम ही जरूर खरीद कर चकना पसंद करते हैं। पूरी दुनिया इसके स्वाद की दीवानी है। खुदरा बाजार में इसकी कीमत हजार रुपए से ₹1300 के बीच होती है। इसका नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है, क्योंकि इसका स्वाद लाजवाब होता है। इस वैरायटी के एक आम को खाने से मन नहीं भरता, बल्कि मां की तृप्ति के लिए आपको दूसरा आम भी खाना पड़ेगा। इसे लोग हापुस के नाम से भी जानते हैं।
इतिहास है पुराना
अब बात करते हैं अल्फांसो आम के नाम की… तो इसका इतिहास सैकड़ो साल पुराना है। जिसे पुर्तगाली नाविक और गवर्नर फौजी के नाम पर पड़ा है। पहले लोग इसे हापुस के नाम से जाना करते थे। हालांकि, आज भी लोग इस हाफ उसके नाम से जानते हैं। दरअसल, 16वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत के पश्चिमी तट पर पुर्तगाली शासन स्थापित हुआ था, तब पुर्तगालियों ने भारत में कई तरह के पेड़ पौधे लगाए थे। जिनमें अल्फांसो आम भी शामिल है। इतिहासकारों की माने तो पुर्तगालियों ने आम की कई किस्म को विकसित करने के लिए ग्राफ्टिंग तकनीक का इस्तेमाल किया था, जिसे अल्फांसो का नाम दिया गया।
जानें खासियत
इस आम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस जीआई टैग मिला हुआ है। इसका रंग सुनहरा पीला होता है, जो कि नरम वाला और बारीक रेशे वाला होता है। यह इसे बाकी आमों से बेहद अलग बनाते हैं। इसका मुख्य रूप से भारत के रत्नागिरी में उत्पादन होता है। इसके अलावा कोंकण क्षेत्र में भी इस आम की प्रजाति की खेती की जाती है। खास देखभाल के कारण इसकी डिमांड काफी अधिक रहती है। देश ही नहीं विश्व भर के हर कोने में इस आम का निर्यात होता है। आम के वजन की बात करें, तो यह करीब 150 से 300 ग्राम के बीच होता है। रत्नागिरी के अलावा, इस प्रजाति की आम गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी खेती की जाती है।