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Fri, Dec 5, 2025

बढ़ता स्क्रीन टाइम बना युवाओं के लिए मुसीबत, तनाव और माइग्रेन के मामले बढ़े, एक्सपर्ट्स ने दी बचाव की सलाह

Written by:Banshika Sharma
आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में मोबाइल और लैपटॉप का बढ़ता इस्तेमाल युवाओं में तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्क्रीन टाइम को सीमित कर और जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर इन खतरों से बचा जा सकता है।
बढ़ता स्क्रीन टाइम बना युवाओं के लिए मुसीबत, तनाव और माइग्रेन के मामले बढ़े, एक्सपर्ट्स ने दी बचाव की सलाह

नई दिल्ली: डिजिटल युग में पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक, सब कुछ स्क्रीन पर सिमट गया है। इसका नतीजा यह है कि युवाओं और पेशेवरों का स्क्रीन टाइम खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है, जो सीधे तौर पर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। लगातार स्क्रीन देखने से न सिर्फ आंखों पर दबाव पड़ता है, बल्कि यह तनाव, चिड़चिड़ापन और माइग्रेन जैसी गंभीर समस्याओं को भी जन्म दे रहा है।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में करियर का दबाव, सोशल मीडिया पर दूसरों से अपनी जिंदगी की तुलना और भविष्य की चिंता पहले से ही तनाव का कारण बनी हुई है। ऐसे में जब दिमाग और शरीर को आराम की जरूरत होती है, तब भी लोग मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन पर व्यस्त रहते हैं, जिससे समस्या और भी गंभीर हो जाती है।

स्क्रीन टाइम का सेहत पर सीधा असर

लंबे समय तक स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने से आंखों में सूखापन, जलन और धुंधलापन आम समस्याएं हैं। इसके अलावा, स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी नींद के पैटर्न को बिगाड़ती है, जिससे शरीर को पूरा आराम नहीं मिल पाता। नींद की कमी से हार्मोनल असंतुलन और कमजोर इम्यूनिटी जैसी दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो डिप्रेशन, एंग्जायटी, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्दन और कंधों में दर्द भी इसी का एक दुष्परिणाम है।

तनाव और माइग्रेन से कैसे बचें?

बढ़ते स्क्रीन टाइम और तनाव के इस दुष्चक्र को तोड़ने के लिए जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करना आवश्यक है। ये कुछ आसान तरीके हैं जिन्हें अपनाकर आप खुद को स्वस्थ रख सकते हैं:

स्क्रीन टाइम सीमित करें: सबसे पहले अपने स्क्रीन टाइम को ट्रैक करें और उसे कम करने की कोशिश करें। काम के दौरान हर 30 मिनट में 5 मिनट का ब्रेक लें। इस ब्रेक में स्क्रीन से नजरें हटाकर कहीं दूर देखें या आंखों को बंद करके आराम दें।

डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं: हफ्ते में कम से कम एक दिन मोबाइल, लैपटॉप और सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बनाने की कोशिश करें। यह आपके दिमाग को रीसेट करने और फोकस बढ़ाने में मदद करेगा। सोने से करीब एक घंटा पहले सभी गैजेट्स को बंद कर दें।

नियमित व्यायाम और ध्यान: रोजाना कुछ समय ध्यान, योग या मेडिटेशन के लिए निकालें। यह तनाव को कम करने का सबसे कारगर तरीका है। शारीरिक गतिविधि शरीर में हैप्पी हॉर्मोन्स को बढ़ाती है, जिससे आप बेहतर महसूस करते हैं।

पूरी नींद और स्वस्थ खानपान: दिमाग और शरीर को रिफ्रेश करने के लिए रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद लेना बहुत जरूरी है। दिनभर पर्याप्त पानी पिएं और अपनी डाइट में पौष्टिक चीजें शामिल करें।

अगर सिरदर्द या माइग्रेन की समस्या बार-बार हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह जरूर लें। परिवार और दोस्तों से अपनी परेशानियों के बारे में बात करने से भी मानसिक बोझ हल्का होता है। इन छोटे-छोटे बदलावों से आप न सिर्फ स्क्रीन टाइम के दुष्प्रभावों से बच सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और तनाव मुक्त जीवन भी जी सकते हैं।