सिंगल लोगों के लिए भी ‘रोमांटिक’ हो सकता है मानसून, मानसून ब्लूज से बचने के लिए सिंगल्स करें ये काम

जीवनशैली,डेस्क रिपोर्ट। लंबी गर्मियों के बाद जब मानसून (monsoon) की झड़ी लगती है तो खुशियां लेकर आती हैं। जब बारिश देखकर चाय के साथ भजिए खाने का मन हो। या, फिर पार्टनर के साथ लॉन्ग ड्राइव की इच्छा हो जाए। और ज्यादा कुछ नहीं तो खिड़की से बाहर हाथ निकालकर बारिश की बूदों का अहसास करके ही खुशी मिल जाए। इसे ही तो मानसून की खुशी कहते हैं। लेकिन सबके के लिए ये बूंदे खुशियां लेकर नहीं आतीं। कुछ लोगों को बारिश देखकर ही मायूसी होने लगती है। या अकेले होने का अहसास परेशान करने लगता है। जब मानसून देखकर मन उदास हो जाए तो समझिए कि आप मानसून ब्लूज (monsoon blues) के शिकार हैं।

क्या है मानसून ब्लूज?
ये एक तरह का सीजनल डिसऑर्डर है जो मौसमी बदलाव की वजह से होता है। मौसम बदलने से सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर हो जाता है। जिसमें चिड़चिड़ापन, उदासी या ज्यादा गुस्सा आने लगता है। इसे ही मानसून ब्लूज कहते हैं। इसका सीधा कनेक्शन सूरज की रोशनी से समझा जा सकता है। जब विटामिन डी का स्तर शरीर में कम होता है और बदलाव दीमाग को झेलने पड़ते है।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”