बच्चों को इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनाना है? ये 3 आसान पेरेंटिंग टिप्स बदल सकते हैं उनका भविष्य

Parenting Tips: बच्चों को इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनाना चाहते हैं तो पेरेंटिंग में लानी होगी थोड़ी समझदारी। छोटी उम्र से ही अगर माता-पिता कुछ आसान टिप्स अपनाएं, तो बच्चा न सिर्फ भावनात्मक रूप से मज़बूत होगा बल्कि जीवन के उतार-चढ़ाव से भी बेहतर ढंग से निपटना सीखेगा।

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में बच्चों का इमोशनली मज़बूत होना जितना ज़रूरी है, उतना ही मुश्किल भी। पढ़ाई, सोशल मीडिया, प्रतियोगिता और घर के माहौल का असर बच्चों की सोच और भावनाओं पर सीधा पड़ता है।

अगर बचपन से ही बच्चे भावनाओं को संभालना सीख जाएं, तो वो न सिर्फ तनाव से लड़ना सीखते हैं बल्कि आत्मविश्वासी भी बनते हैं। इसके लिए पेरेंट्स को थोड़ी सी समझदारी और सही वक्त पर सही तरीका अपनाना होता है। आइए जानते हैं वो 3 आसान पेरेंटिंग टिप्स जो आपके बच्चे को इमोशनली स्ट्रॉन्ग बना सकते हैं।

इन 3 तरीकों से सिखाएं बच्चों को इमोशनल बैलेंस

बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें, उन्हें जज न करें

बच्चों की बातें कई बार छोटी या बेमतलब लग सकती हैं, लेकिन उनके लिए वो बेहद बड़ी होती हैं। जब बच्चा आपसे अपनी परेशानी या खुशी बांट रहा हो, तो उसे ध्यान से सुनें। उसे ये एहसास कराएं कि उसकी बातें मायने रखती हैं। बीच में टोकने या सलाह देने से पहले उसे पूरा बोलने दें। इससे बच्चा खुलकर बोलना सीखेगा और भावनाएं दबाने की आदत नहीं बनेगी।

गुस्सा या रोना आता है तो उसे रोकें नहीं, समझाएं

अक्सर हम बच्चों को कहते हैं, “चुप हो जाओ”, “गुस्सा मत करो” या “लड़कों को रोना नहीं चाहिए”। लेकिन ये बातें बच्चे को अंदर ही अंदर कमजोर बनाती हैं।

उन्हें सिखाएं कि हर भावना को महसूस करना ज़रूरी है। फिर धीरे-धीरे उन्हें बताएं कि इन भावनाओं को कैसे सही ढंग से संभालना है। जैसे गुस्सा आए तो गहरी सांस लें, अकेले में बैठें या कागज पर लिखें।

खेल, कहानी और कला से सिखाएं इमोशन को पहचानना

बच्चों को भावनाओं को समझाने का सबसे अच्छा तरीका है खेल, चित्रकला या कहानियों के ज़रिए। कहानियों में किरदारों की भावनाएं बताइए जैसे “ये लड़की उदास क्यों है?” खेलते समय पूछिए, “तुम इस वक्त कैसा महसूस कर रहे हो?” इससे बच्चा धीरे-धीरे अपने इमोशन्स को पहचानना और बोलकर जताना सीख जाता है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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