बागवानी का शौक रखने वाले लोग सिर्फ फूलों तक सीमित नहीं रहते, बल्कि अपने बगीचे में सब्जियों और हरी साग-सब्जियों का भी आनंद लेते हैं। ठंड के मौसम में खासकर पालक, मेथी, धनिया जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां लगाई जाती हैं। पालक (Spinach) सबसे आम और लोकप्रिय सब्जी है, जो खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। हालांकि, कई बार पहली कटाई के बाद पौधा कमजोर दिखने लगता है या नई पत्तियां धीरे-धीरे बढ़ती हैं। इसका मुख्य कारण गलत कटाई का तरीका और पौधे की देखभाल में कमी हो सकती है।
पालक की कटाई का सही समय
पालक को आमतौर पर महीने में दो बार काटा जा सकता है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि पौधा कितना स्वस्थ है और उसकी ग्रोथ कैसी है। बहुत जल्दी-जल्दी कटाई करने पर पौधा कमजोर हो जाता है। लंबा इंतजार करने पर पत्तियां सख्त और मोटी हो जाती हैं और उनमें फूल आने लगते हैं इसलिए, महीने के बीच में कटिंग करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय कटाई करने से पौधे की ग्रोथ लगातार बनी रहती है और पत्तियां हमेशा मुलायम और हरी-भरी रहती हैं।
पालक की कटाई का सही तरीका
- लगभग 6 से 8 इंच लंबी पत्तियों को काटें।
- सबसे नीचे की पीली या सख्त पत्तियां बचाएं।
- जिन पर फूल नहीं आए हों। फूल आने लगे तो तुरंत काट दें।
- टहनी को 4 से 6 इंच ऊपर से काटें ताकि नई पत्तियां बाहर निकल सकें।
- कटाई हाथ से न करें, बल्कि धारदार कैंची या साफ चाकू का उपयोग करें।
- इस तरीके से कटिंग करने पर पौधे की ग्रोथ तेज होती है और हर बार हरी पत्तियां निकलती हैं।
कटाई के बाद की देखभाल
- कटाई के बाद पालक को थोड़ी देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए:
- कटाई के बाद पौधे को पर्याप्त पानी देना जरूरी है ताकि वह तनाव से उबर सके।
- महीने के मध्य कटाई के बाद थोड़ी सी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिट्टी में मिलाएं। यह पौधे को पोषण देगा और ग्रोथ तेज करेगा।
- जिस गमले में पालक है, उसे ऐसी जगह रखें, जहां पर्याप्त धूप आती रहे।
पालक की कटाई क्यों महत्वपूर्ण है?
सही कटाई से पौधे की उम्र बढ़ती है और पत्तियों की गुणवत्ता बनी रहती है। इससे नई पत्तियां तेजी से निकलती हैं और पौधा कमजोर नहीं होता। सही कटाई से रोग और कीटों का खतरा कम होता है। बगीचे में हमेशा ताजा और हरी-भरी पालक मिलती रहती है।





