ऐसी 8 बातें, जो आपकी परेशानी 80 फीसदी कम कर देंगी

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सबके जीवन में परेशानियां हैं। ऐसा कोई नहीं जो पूरी तरह सुखी हो। लेकिन कई बार हम ये समझ नहीं पाते कि कुछ परेशानियों का कारण हम खुद हैं। अगर अपनी नजरें और नजरिया बदल लें तो ऐसी कई समस्याएं हैं जो हल हो जाएंगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी 8 बातें, जिनपर अमल करने से आपकी परेशानियां 80 फीसदी कम हो सकती हैं।

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  • अक्सर हम मानकर चलते हैं कि लोग हमसे ईर्ष्या करते हैं, हमारी बुराई करते हैं या हमसे मन ही मन कॉम्पिटिशन करते हैं। हमारा ये ‘लगना’ ही हमारे मन में कई लोगों के लिए नकारात्मक भाव भर देता है। इसकी बजाय आप ये सोचिए कि आपके आसपास के लोग अच्छी नीयत और अच्छे इरादे से आपके साथ है। जब हमें लोगों के बारे में कोई राय बनानी ही है तो अच्छी राय बनाएं। इससे हमारा दुनिया को देखने का नजरिया सुधरेगा और लोगों के कारण जो खीज और परेशानी मन में बनी रहती है, वो दूर होगी।
  • अपनी बात को कभी भी नकारात्मक वाक्य से शुरू मत कीजिए। ‘नहीं’ ‘ये संभवन नहीं है’ ‘ऐसा नहीं हो सकता’ इस तरह के वाक्य आपके और सामने वाले के दिमाग पर भी नकारात्मक असर छोड़ते हैं। इसी बात को कहने के लिए दूसरा तरीका ढूंढिये।
  • बड़ी सफलता की दौड़ में छोटी खुशियों को नजरअंदाज मत कीजिए। जीवन छोटी छोटी खुशियों से ही आबाद होता है और अगर आप दुनिया की रेस में इतनी तेजी से भाग रहे हैं कि इन छोटी बातों को जी नहीं पा रहे, तो सारी कवायद बेकार है। आप किसी एक बड़े लक्ष्य की उम्मीद में हर छोटे लेकिन अहम पल को गंवा रहे हैं।
  • ‘मैं कोशिश करूंगा’ की जगह ‘मैं ऐसा करूंगा’ ‘मुझे ये करना ही है’ जैसे सूत्रवाक्य अपनाइये। आपका दिमाग आपकी बातों से प्रभावित होता है। आप उसे जैसा मोटिवेट करेंगे, वो वैसा फंक्शन करेगा। इसलिए अपनी बातों में एक दृढ़ता पैदा कीजिए।
  • तमाम कोशिशों के बाद भी ‘आपकी हर इच्छा पूरी हो या हर लक्ष्य की प्राप्ति हो, जरूरी नहीं। ऐसे में अपनी नाकामी पर एक नजर डालिये और उसे ‘असफलता’ की जगह ‘एक और मौका मिला है प्रयास का’ इस नजरिये से देखिए।
  • किसी के प्रति मन में कटुता मत रखिए। कटुता या नफरत आपकी बहुत सारी ऊर्जा सोख लेती है। ये आपके पॉजिटिविटी को खत्म करती है और आपके दिमाग में हमेशा एक तनाव रहता है। आप जिससे नफरत करते हैं उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन ये भाव आपकी ही गुणवत्ता कम कर देता है।
  • कभी कभी खुद पर हंस लेना भी जरूरी होता है। हम दूसरों का मजाक तो आसानी से उड़ा लेते हैं लेकिन जब अपनी बात आती है तो खुद को पूरी गंभीरता से लेते हैं। खुद को गंभीरता से लेना ठीक भी है, लेकिन कभी कभी अपने ही मजाक बनाए जाने पर उसमें शामिल होने से आपको अपने बारे में ही नई बातें पता चलती हैं।
  • हर बात, हर बहस, हर मसले पर जीतने की जिद मत पालिये। कोशिश कीजिये लेकिन ये भी स्वीकारिये कि जीवन में हार जीत लगी रहती है। आपसे भी बेहतर लोग हैं और आप भी किसी के आगे कम पड़ सकते हैं। ये कोई कुंठा वाली बात नहीं है। हम संसार में हमेशा सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकते और अपनी हार को विनम्रता से स्वीकारना बड़ा गुण है।

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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