हमारे देश में एक से बढ़कर एक रीति रिवाज है। इनमें भोजन को लेकर भी सनातन धर्म में नियम और कायदे बनाए गए हैं। अक्सर लोग प्यार जताने के लिए एक ही थाली में खाना खाते हैं। शादी के बाद भी पति-पत्नी एक ही थाली में खाना खाते हैं, ताकि उनका प्रेम दिन प्रतिदिन बढ़ता जाए। हालांकि, विष्णु स्मृति और चरक स्मृति जैसी धार्मिक किताब में एक साथ खाना खाने को लेकर अलग-अलग तरह के तरह के नियम बनाए गए हैं।
इन दोनों पुस्तकों के अनुसार, शादी के बाद पति-पत्नी का एक साथ खाना ठीक नहीं होता। इससे घर में दरिद्रता आने लगती है। हालांकि, पति के खाना खाने के बाद पत्नी उसकी थाली में अलग से खाना परोस कर खा सकती है।

होती है हानि
ऐसा करने से घर में समृद्धि पड़ती है, लेकिन एक ही थाली में खाना खाना सही नहीं माना जाता है। इससे पति की उम्र घटती है। साथ ही दरिद्रता का वास होता है। इसलिए पहले के जमाने में लोग एक-दूसरे के साथ एक ही थाली में खाना नहीं खाते थे। हालांकि, आजकल कोई इन नए नियम को मानता नहीं है, जो कि गलत है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
धार्मिक पुस्तकों के अनुसार, जिस खाने में थूक का छिंटा गिर गया हो या फिर चीज खाने में बाल गिर गया है, उस खाने को गलती से भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि ऐसे में वह खाना अशुद्ध हो जाता है। वहीं, वैज्ञानिकों के अनुसार थूक में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं, जो खाने में जाने के बाद उसे अनहाइजीनिक बना देते हैं, जिससे खाने वाला व्यक्ति बीमार हो सकता है। सनातन धर्म में खाने में बाल निकलना शुभ नहीं माना जाता। किसी व्यक्ति के खाने में यदि बाल निकल रहा है, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है या फिर राहुल और केतु से संबंधित समस्याएं भी हो सकती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)