भारत सहित पूरी दुनिया भर में शादी विवाह को लेकर कई सारी अनोखी रस्म बनाई गई है, जिसे सदियों से लोग निभाते आ रहे हैं। हर धर्म के लोग अलग-अलग तरह से शादी विवाह संपन्न करवाते हैं। हालांकि, शादी का मतलब ही दो आत्माओं का मिलन होने के साथ-साथ दो परिवारों का बंधन है, जिसे विधि विधान पूर्वक पूरा किया जाता है। हिंदू धर्म में यह 16 संस्कारों में से एक है। अलग-अलग समाज की जीवन शैली इस दौरान निभाई जाने वाली परंपरा से पता चलती है। हर जगह शादी की परंपराएं काफी अलग होती हैं, जो कि कई दिनों तक चलने वाला अनुष्ठान है।
आज हम आपको शादी से जुड़ी एक अनोखी प्रथा के बारे में बताएंगे, जिसे पाली एंट्री कहा जाता है, जहां एक महिला एक ही परिवार के कई भाइयों से सामूहिक रूप से शादी करती है।
अनोखी रस्म
यह सुनकर आपको हैरानी जरूर हो रही होगी, लेकिन यह रस्म वहां के लोग खुशी-खुशी निभाते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसे आज भी निभाया जाता है। दरअसल, तिब्बत के कुछ हिस्सों में आज भी एक महिला कई भाइयों से शादी करती है, जिसका मुख्य उद्देश्य पैतृक संपत्ति को बढ़ाने से बचाना है।
चीन एकेडमी ऑफ़ सोशल साइंसेज ने इस पर रिसर्च किया, जिसके मुताबिक यहां उस महिला का मुख्य पति परिवार का सबसे बड़ा भाई होता है। वहीं, अन्य भाई सहयोगी पति कहलाते हैं। सभी भाइयों का उनकी पत्नी पर समान अधिकार होता है। वहीं, पत्नी भी अपने सभी पतियों से एक समान व्यवहार करती है, एक समान प्रेम करती है।
भौगोलिक कारण
इस प्रथा के पीछे भौगोलिक कारण भी जुड़ा हुआ है। दरअसल, तिब्बत के कुछ इलाके बहुत ही ज्यादा ठंडे हैं, ऊंचे और बंजर होने के कारण खेती लायक जमीन भी यहां कम होती है। ऐसे में सदियों पहले यह परंपरा बनाई गई कि एक महिला परिवार के सभी भाइयों से शादी करेगी, जिससे संपत्ति का बंटवारा नहीं होगा और उन्हें जीवित रहने के लिए किसी अन्य संसाधन पर आश्रित नहीं होना होगा, और ना ही उन्हें जीवन यापन करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
इस परंपरा के तहत, यहां सभी पुरुष सदस्य एक साथ मिलकर काम करते हैं, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहती है। हालांकि, अन्य लोगों के लिए यह प्रथा काफी अजीब है, लेकिन तिब्बत के इन इलाकों में इस प्रथा को बिल्कुल सामान्य माना जाता है।
शहरी क्षेत्र में हुआ बदलाव
वहीं, उस महिला से होने वाले बच्चों को सभी मिलजुल कर पालते हैं। वहां जैविक पिता की पहचान को अत्यधिक महत्व नहीं दिया जाता है। वर्तमान में शहरी क्षेत्र में काफी ज्यादा बदलाव आ चुका है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह परंपरा निभाई जा रही है, जो कि एक मिसाल के तौर पर पेश होती है। यह लोग सभी खुशहाल जीवन जीते हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





