घर की छत पर लगे गमलों में या खेत में बिछी लौकी की बेल जब खूब लहराने लगे, तो मन खुश हो जाता है। लेकिन जब महीनों इंतज़ार करने के बाद भी एक भी फल न निकले, तो निराशा होना लाज़मी है। ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग तरह-तरह की महंगी खाद और केमिकल डालना शुरू कर देते हैं, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात!
असल में लौकी के पौधे को सिर्फ पोषण ही नहीं, नेचुरल संतुलन की भी ज़रूरत होती है। आपकी रसोई में रखी कुछ आम चीज़ें जैसे छाछ, केला, राख या गुड़ सही तरीके से इस्तेमाल की जाएं, तो ये आपकी बेल को ना सिर्फ हरा-भरा बनाएंगी बल्कि उसमें लंबी, हरी और भरपूर लौकी भी आएगी। इस आर्टिकल में जानिए ऐसे ही 5 देसी और असरदार उपाय, जो आपकी लौकी की पैदावार को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
लौकी की पैदावार बढ़ाने के नेचुरल तरीके
लौकी एक नाजुक सब्जी है, जिसे ज़्यादा केमिकल वाली खाद नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में नेचुरल या जैविक तरीकों से न सिर्फ पौधा सेहतमंद रहेगा, बल्कि फल भी लंबा और हरा-भरा निकलेगा।
1. गोमूत्र और नीम का घोल
हर 7 दिन में एक बार पौधे पर गोमूत्र और नीम की पत्तियों का घोल छिड़कें। इससे पत्तियों पर कीड़े नहीं लगेंगे और पौधा ताकतवर बनेगा।
2. राख और छाछ का मिश्रण
राख और छाछ का घोल पौधे की मिट्टी में डालें। ये बेल की जड़ों को मजबूती देता है और नमी बनाए रखता है।
3. केले का छिलका और गुड़ पानी
इन दोनों को मिलाकर 2 दिन तक पानी में गलाएं और फिर बेल में डालें। इससे प्राकृतिक पोटाश मिलेगा जो फल आने की प्रक्रिया को तेज़ करता है।
4. ऐश और मटका मिट्टी
तंदूर की राख और मटकी की सूखी मिट्टी को मिलाकर बेल की जड़ों में डालें। इससे मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्व बढ़ते हैं।
5. छाछ और चना दाल पेस्ट
चना दाल को पीसकर छाछ में मिलाएं और बेल की जड़ों में डालें। ये नाइट्रोजन की कमी पूरी करता है जिससे फल आने की दर बढ़ती है।
लौकी की बेल में फल न लगने की वजहें क्या हो सकती हैं?
अगर लौकी की बेल बढ़ रही है लेकिन फूल या फल नहीं आ रहे, तो इसकी वजहें हो सकती हैं मिट्टी में नमी की कमी, ज़्यादा छाया वाली जगह, कीट प्रकोप या फिर फूलों में परागण की कमी। फूल आने पर अगर मादा फूलों में परागण नहीं होता, तो फल नहीं बनते। इसलिए, पौधों के पास मधुमक्खी या तितली जैसे परागण करने वाले कीटों का आना ज़रूरी है। नहीं तो आप ब्रश से हाथ से भी परागण कर सकते हैं।
किसान और एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
कई किसान और बागवानी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर जैविक तरीकों से पौधों की देखभाल की जाए तो न सिर्फ उत्पादन बढ़ता है, बल्कि सब्जी का स्वाद भी अच्छा होता है। छाछ, गुड़, गोबर और नीम के मिश्रण को ‘देसी टॉनिक’ भी कहा जाता है जो लौकी जैसे बेल वाले पौधों के लिए फायदेमंद है।





