Akshaya Tritiya : आज अक्षय तृतीया है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ये दिन मनाया जाता है जो धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है। आज का दिन शुभ कार्यों, दान, खरीदारी, पूजा और नए आरंभ के लिए विशेष माना गया है।
सीएम मोहन यादव ने आज के दिन प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि की प्रार्थना की है। उन्होंने शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि ‘अक्षय तृतीया पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। भगवान श्री विष्णु एवं मां लक्ष्मी से प्रार्थना है कि आप सभी पर कृपा बनाए रखें, अक्षय सुख, समृद्धि एवं प्रसन्नता प्रदान करें।’

अक्षय तृतीया: शुभता से जुड़ा पर्व
अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। इसे ‘अक्षय’ कहा जाता है जिसका अर्थ है जो कभी नष्ट न हो। मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्यों और दानों का फल स्थायी और अक्षय है। इस दिन को मनाने के पीछे धार्मिक, पौराणिक, और सांस्कृतिक कारण हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। इसीलिए यह दिन नए युग और शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है। यह भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम का जन्मदिन भी है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। सोना-चांदी को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और इन्हें खरीदने से घर में समृद्धि आती है।
सोना-चांदी खरीदना माना जाता है शुभ
अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। सोना-चांदी खरीदना समृद्धि, धन और माता लक्ष्मी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को स्वयं सिद्ध मुहूर्त या ‘अबूझ सावा’ माना जाता है जिसका अर्थ है बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य जैसे खरीदारी, निवेश या पूजा की जा सकती है। सोना-चांदी खरीदना धन-वृद्धि और आर्थिक स्थिरता का प्रतीक है।इसे लेकर कई पौराणिक कहानियां भी है। आइए जानते हैं आज के दिन सोना चांदी खरीदने का पौराणिक रूप से क्या महत्व है।
इससे जुड़ी पौराणिक कहानियां
1. भगवान कुबेर को धन का खजाना प्राप्त होना : पौराणिक कथा के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान शिव ने कुबेर को धन का खजाना और धनाध्यक्ष का पद प्रदान किया था। इसीलिए इस दिन धन-संपत्ति से संबंधित कार्य करना शुभ माना जाता है। कुबेर की पूजा और सोना-चांदी खरीदना इस घटना का प्रतीक है, जो धन के स्थायी प्रवाह की कामना को दर्शाता है।
2. सुदामा और भगवान कृष्ण की कथा : एक कथा के अनुसार, इस दिन सुदामा ने भगवान कृष्ण को अक्षय तृतीया पर भेंट देने के लिए चावल (पोहा) अर्पित किए थे। बदले में भगवान कृष्ण ने सुदामा को अपार धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया। इस कहानी से यह विश्वास जुड़ा है कि इस दिन छोटी-सी खरीदारी या दान भी अक्षय फल देता है और सोना-चांदी खरीदना इस शुभता को बढ़ाता है।
3. महाभारत कथा लिखने का प्रारंभ : कुछ मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही वेद व्यास ने गणेश जी को महाभारत की कथा लिखने का निर्देश दिया था। इस दिन को ज्ञान, समृद्धि और नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।
4. परशुराम जयंती और त्रेता युग का प्रारंभ : अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही, इस दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। इस दिन की शुभता के कारण लोग धन और समृद्धि से जुड़े कार्य करते हैं, जिसमें सोना-चांदी खरीदना शामिल है।
5. गंगा नदी का अवतरण : कुछ कथाओं में कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। गंगा नदी को पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और इस दिन की गई खरीदारी को भी पवित्र और शुभ माना जाता है।