Bhai Dooj: 3 नवंबर को मनाया जाने वाला भाई दूज का त्यौहार भाई बहन के प्रेम संबंधों का प्रतीक है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख समृद्धि की कामना करते हुए यमराज की पूजा करती हैं। इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक होता है। भाई दूज के अवसर पर बहनें अपने भाइयों के ललाट पर तिलक करके उन्हें आशीर्वाद देती है। जबकि भाई अपनी बहनों को सुरक्षा और समर्थन का वचन देते हैं। यह त्यौहार न केवल पारिवारिक प्रेम को मजबूत करता है। बल्कि भाई बहन के बीच के बंधन को भी और गहरा बनाता है।
भाई दूज के दिन भाई-बहन एक साथ मिलकर खास भोजन का आनंद लेती हैं। लेकिन आधुनिक जीवन की भाग दौड़ में कई बार भाई अपनी बहन के पास नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसी स्थिति में बहनें अपने भाई के लिए किस प्रकार पूजा कर सकती हैं? इसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे, तो चलिए जानते हैं।
भाई दूज की विशेष पूजा
भाई दूज के विशेष दिन पर पूजा करने के लिए सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और भाई के नाम का एक नारियल बाजार से खरीद कर लाएं। घर के मंदिर में एक लकड़ी की चौकी रखें और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। अब उस चौकी पर गुलाब या कुमकुम से अष्टदल कमल का चित्र बनाएं और उसके ऊपर नारियल स्थापित करें।
नारियल पर रोली से टिका लगाएं और उसके ऊपर चावल चिपकाएं। इसके बाद फूल, फल और मिठाई अर्पित करने के बाद उसे नारियल की आरती करें। आरती समाप्त होने के बाद नारियल को पीले कपड़े से ढक दें, जिससे भाई की लंबी उम्र और सुख की कामना की यह विशेष पूजा विधि पूर्ण हो सके। इस पूजा के माध्यम से बहनें अपने भाइयों के प्रति अपने प्रेम और स्नेह को दर्शाती हैं।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 3 नवंबर को रात्रि 10:01 पर समाप्त होगी। इस दिन भाई दूज के अवसर पर पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1:05 से प्रारंभ होकर 3:20 तक रहेगा, जो लगभग 2 घंटे 10 मिनट का होगा।
इस विशेष समय में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। क्योंकि इसे शुभ समय माना जाता है। इस दौरान की गई पूजा से न केवल भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना होती है। बल्कि परिवार में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है।