भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज दीपावली शुभोत्सव है और देशभर में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। दिवाली पर शुभ मुहूर्त में पूजन करना फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि विधि विधान से महालक्ष्मी की पूजा करने पर जीवन में धन-धान्य और समृद्धि कायम रहती है। आईये आपको बताते हैं क्या है आज पूजन का शुभ मुहूर्त।
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दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 06:03 बजे से हो रही है और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को 02:44 AM पर होगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:09 बजे से शुरू होकर रात 08:04 बजे तक रहेगा। यानी इस मुहूर्त की कुल अवधि 01 घण्टा 56 मिनट की है।
प्रत्येक वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर दिवाली पर्व मनाया जाता है। इस शाम मुख्य रूप से माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, कुबेर और काली मां की पूजा होती है। इसी के साथ घर को दीयों से रोशन किया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या तिथि पर ही देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुईं थीं और दिवाली की रात को पृथ्वी भ्रमण पर निकली थीं। दिवाली की शाम को प्रदोष काल के समय लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है।
4 नवंबर को अमावस्या तिथि की शुरुआत सुबह 06:03 बजे से है और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को सुबह 02:44 बजे होगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:09 बजे से शुरू होकर रात 08:04 बजे तक रहेगा। यानी इस मुहूर्त की अवधि 1 घण्टा 56 मिनट की है।
महालक्ष्मी-गणेश पूजन शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त- शाम 06:09 से लेकर 08:04 तक
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त – शाम 05:35 से 08: 10 तक
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त – रात 11:38 से 12:30 तक
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 04 नवंबर, 2021 को प्रात: 06:03 से
अमावस्या तिथि समाप्त – 05 नवंबर, 2021 को 02:44 मध्यरात्रि तक
चौघड़िया पूजा मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – प्रात: 06:35 से 07:58 तक
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – प्रात: 10:42 AM से शाम 02:49 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – शाम 04:11 से 05:34 तक
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) – शाम 05:34 से 08:49 तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – प्रात: 12:05 AM से 5 नवंबर 01:43 सुबह 5 बजे तक
इन सामग्रियों और विधि से करें पूजन
लकड़ी की चौकी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां व चित्र, चौकी को ढंकने के लिए लाल या पीला कपड़ा, कुमकुम, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, पान और सुपारी, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास बत्ती, पंचामृत, गंगाजल, कलश, पुष्प, फल आदि। पूजन करते हुए सबसे पहले संकल्प लें। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछा लें। चौकी पर गंगाजल का छिड़काव करें और उस पर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, माता सरस्वती और कुबेर देवता की मूर्ति स्थापित करें। चौकी के पास जल से भरा कलश भी रख दें। श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर जी के सामने एक-एक करके सामग्री अर्पित करें। अब मंदिर में घी के दीए प्रवज्जलित करें। ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें। एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें। श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें। देवी सूक्तम का पाठ करें।
मां लक्ष्मी मंत्र
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र
ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
कुबेर मंत्र
ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दा