दिवाली पर भूलकर भी न दें ये उपहार, जीवन से चला जाएगा सुख सौभाग्य

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। दिवाली (Diwali) पर हम अपने दोस्तों रिश्तेदारों के लिए कुछ न कुछ गिफ्ट (gift) लेते ही हैं। अक्सर तोहफे खरीदते समय हम बजट, पसंद, मौके और ट्रेंड्स के मुताबिक चलते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गिफ्ट देने से पहले ये सोचा है कि उसका क्या प्रभाव हो सकता है। वास्तु (vastu) और ज्योतिष (astrology) के अनुसार कुछ चीजें गिफ्ट में नहीं देना चाहिए क्योंकि ये देने और प्राप्त करने वाले, दोनों के लिए शुभ नहीं होती। आइये जानते हैं ऐसी ही वस्तुओं के बारे में।

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  • श्रीगणेश और महालक्ष्मी की मूर्ति या फोटो किसी को गिफ्ट नहीं करना चाहिए। ये हम पूजा के लिए लाते हैं और अगर किसी और को इन्हें गिफ्ट में दे दें तो इनका आशीर्वाद घर से निकल जाता है। वास्तु के अनुसार ऐसा करने से हम अपना सौभाग्य किसी और को दे देते हैं।
  • सोने, चांदी के गहने या स्टील की वस्तुएं हम अपने उपयोग के लिए लाते हैं। अगर ये किसी को तोहफे में दे दें तो हमारे हिस्से की सुख समृद्धि सामने वाले से पास चली जाती है।
  • वास्तु के अनुसार अष्टधातु की चीज़ें भी नहीं देनी चाहिए।
  • दीवाली पर अपने प्रोफेशन से संबंधित वस्तुएं गिफ्ट न करें। जैसे अगर आप कपड़ों का व्यापार करते हैं तो किसी को कपड़े न दें या फिर अगर शिक्षा से संबंधी कार्य करते हों तो किसी को पेन, डायरी या किताबें उपहार में न दें।
  • क्लॉक, वॉटर क्लॉक या पानी में रखने वाले शोपीस को रखने का सही तरीका होता है। अगर सामने वाले को इसका ज्ञान नहीं है तो वो उन्हें सूट नहीं कर सकती है।
  • रुमाल कभी गिफ्ट के तौर पर नहीं देना चाहिए। इसे देने से नकारात्मकता फैलने का अंदेशा रहता है।
  • चाकू, तलवार, कैंची, ब्लेड आदि नुकीली चीजें गिफ्ट देने वाले और पाने वाले दोनों के लिए बैड लक ला सकते हैं।
  • किसी को चप्पल जूते गिफ्ट में न दें। माना जाता है कि इससे आप अपना भाग्य किसी और को दे रहे हैं।
  • कांच की वस्तुएं देना भी शुभ नहीं माना जाता है। कांच टूटने से कुंडली में चंद्रमा की शुभ स्थिति भी बिगड़ जाती है।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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