गणगौर पूजा में 16 नंबर इतना खास क्यों? सोलह श्रृंगार से लेकर सोलह दिनों तक जानें सबकुछ

गणगौर पूजा में हर परंपरा का अपना एक विशेष महत्व होता है, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है अंक 16, आखिर क्यों इस पूजा में हर चीज़ 16 की संख्या में रखी जाती है? काजल, रोली, मेंहदी से लेकर सुहाग सामग्री और व्रत के दिनों तक, हर जगह यह संख्या खास मानी जाती है।

Gangaur 2025: गणगौर का त्योहार राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं की अनूठी झलक पेश करता है। महिलाएँ इस त्योहार का इंतज़ार साल भर करती है। इस त्योहार को देश भर में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन राजस्थान में इस त्योहार की धूम अलग ही देखने को मिलती है। इस त्योहार की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें हर कोई शामिल हो सकता है।

गणगौर में ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। महिलाएँ और कुंवारी कन्याएं इसका व्रत भी रखती है, शादीशुदा महिलाएँ पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती है तो वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है। 16 दिनों तक चलने वाला यह त्योहार महिलाओं के लिए बेहद ख़ास है। गणगौर की पूजा में 16 अंक का विशेष महत्व है। चलिए इस आर्टिकल में समझते हैं, गणगौर की पूजा में 16 अंक का क्या महत्व है।

गणगौर पूजा का क्या महत्त्व है? (Gangaur 2025)

गणगौर का त्योहार इतना ख़ास है कि इसकी तैयारी और पूजा 16 दिन पहले ही शुरू हो जाती है। सबसे ज़्यादा ख़ास बात यह है कि इस पूजा में हर एक चीज़ की गिनती 16 का अंक में होती है, चाहे वह प्रसाद हो, फूल हो, या फिर 16 श्रृंगार ही क्यों न हो। इससे दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है, इस दिन महिलाएँ सजधज कर पूजा अर्चना करती है, और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है।

गणगौर पूजा में 16 नंबर इतना खास क्यों?

हिन्दू धर्म में जब भी किसी भी प्रकार की पूजा पाठ की जाती है, तो उसे पूरे विधि-विधान से संपन्न किया जाता है, जिससे की भगवान का आशीर्वाद मिल सके। ऐसा ही कुछ गणगौर पूजा में भी लागू होता है। गणगौर पूजा में भगवान को हर चीज़ 16 अंकों में चढ़ाई जाती है, जैसे की पूजा सामग्री, श्रंगार का सामान, प्रसाद आदी। इसके अलावा काजल, रोली और मेहंदी का इस्तेमाल सोलह-सोलह बार दिवार या फिर कागज़ पर बिंदिया लगाने के लिए किया जाता है। गणगौर की पूजा भी 16 दिनों तक की जाती है, इसलिए इस पूजा में 16 अंक का विशेष महत्व है।

गणगौर 16 दिनों तक क्यों मनाया जाता है?

गणगौर का त्योहार मनाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए 16 दिनों तक कठोर तपस्या की थी। यही वजह है कि गणगौर पूजा भी 16 दिनों तक चलती है, और इसमें हर एक चीज़ का संबंध 16 अंक से होता है। अगर आप भी गणगौर पूजा कर रहे हैं, तो इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि पूजा पूरे विधि-विधान से की जाए। इससे न केवल आपको माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलेगा, बल्कि आपकी मनोकामना भी पूरी होगी। इसके अलावा यह पूजा आपके जीवन में सौभाग्य और सुख-समृद्धि लेकर आएगी।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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